अमीना का दिल कचाट रहा है। वह सोच रही है
जा रहे हैं। हामिद का अमीना के सिवा कौन है। हामिद किसके साथ जाएगा? और फिर उसे
कैसे अकेले मेले में जाने दे भीड़ में वह कहाँ खा जाए तो क्या हो? नहीं, अमीना उसे या न
जाने दगी। नन्ही-सी जान तीन काम चलेगा कैसे पैर में छाले पड़ जाएंगे। हामिद के पास
जूते भी तो नहीं है। वह जाए तो यहाँ सेवइयाँ कौन पकाएगा? भारी मन से अमीना ने हामिद
कोजेब में तीन पैसे डाल दिए और ईदगाह जाने वाले लोगों के साथ कर दिया।
गाँव से मेला चला। अन्य बच्चों के साथ हामिद भी जा रहा था। कभी सबके सब दौड़कर
आगे निकल जाते। फिर किसी पेड़ के नीचे खड़े होकर
साथ आने वालों का इंतजार करते। उनके आन पर
बच्चे फिर आगे-आगे दौड़ने लगते। हामिद के
पैरों में मानो पंख लग गए हों।
शहर समीप आ गया। सड़क के दोनों ओर
वीचे हैं, पेड़ों में आम और लीचियाँ लगी
हुई हैं। उसके बाद बड़ी-बड़ी इमारतें आने
यह अदालत है, यह कॉलेज है,
यह क्लव है। बच्चे हैरानी से यह सब
देखते हैं।
आगे चले तो हलवाइयों की दुकानें शुरू
हुईं। दुकानों पर तरह-तरह की मिठाइयाँ
थालों में सजी रखी हैं। कुछ आगे चलने
पर पुलिस लाइन आ गई। कांस्टेबल
कवायद कर रहे हैं।
अब बस्ती घनी होने लगी थी। ईदगाह
जाने वालों की टोलियाँ नज़र आने
लगीं। लोगों ने नए-नए कीमती
कपड़े पहने हुए थे। कोई इक्के-ताँगे
पर सवार था तो कोई मोटर पर।
Answers
Answered by
0
Answer:
लाल कपडे मे बैठे आ रहा था मुस्कुराते इधर- उधर
Similar questions