अमेरिकी वर्चस्व से आप क्या समझते हैं
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समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व
समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व
शीत युद्ध की समाप्ति के साथ ही संयुक्त राज्य अमरीका विश्व की सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरा अब उसे टक्कर देने वाली शक्ति विश्व में मौजूद नही थी। शीत युद्ध के बाद वाले दौर को अमरीकी प्रभुत्व या एक धु्रवीय विश्व का दौर कहा जाने लगा। सन् 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही अमरीकी वर्चस्व प्रारम्भ हो गया। कुछ हद तक कहा जा सकता हैं कि अमेरीकी वर्चस्व की झलक तो सन् 1945 से ही नजर आने लगी थी जो 1991 में स्पष्ट हो गई।
नई विश्व व्यवस्था की शुरूआत
प्रथम खाड़ी युद्ध- ( 2 अगस्त 1990-28 फरवरी 1991 )-
इराक-कुवैत विवाद में इराक का दावा था कि कुवैत इराक का ही एक क्षेत्र हैं और इसे पुनः इराक में शामिल करने का प्रयास किया गया अतः इराक ने कुवैत पर हमला किया, इराक का कुवैत पर हमला करने का मुख्य कारण अपने आर्थिक दिवालियापन को दूर करना था। अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के बहुत समझाने के बावजूद भी जब इराक नहीं माना तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने बल प्रयोग की अनुमति दी जिसे ‘‘नई विश्व व्यवस्था‘‘ का नाम दिया गया। इराक पर संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिये गये तथा 34 देशों की 6,60,000 सैनिकों ने इस युद्व में हिस्सा लिया जिसमें 75 प्रतिशत सैनिक केवल अमरीका के थे। अतः देखा जाए तो यह युद्ध वास्तव में अमरीका और इराक के मध्य था जिसे ‘‘प्रथम खाड़ी युद्ध‘‘ के नाम से जाना जाता हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस सैन्य अभियान को ‘‘आॅपरेशन डेर्जट स्टाॅर्म‘‘ का नाम दिया। अमरीकी जनरल नार्मन श्वार्जकाॅव इस सैन्य अभियान के प्रमुख थे। इराक के तत्कालीन राष्ट्रपति सद््दाम हुसैन ने इस युद्ध को ‘‘ सौ जंगों की एक जंग या सभी युद्धों की माँ कहा हैं‘‘। इराकी सेना के जल्दी की पाँव उखड़ गये और उसे कुवैत से हटना पड़ा। प्रथम खाडी युद्ध से यह जग जाहिर हो गया कि सैन्य क्षमता और प्रौद्योगिकी के मामले में अमरीका विश्व के बाकी देशों से काफी आगे निकल चुका हैं। इस युद्ध में अमेरिका के स्मार्ट बमों का प्रयोग किया जिसे लोगों ने घरों में टेलीवीजन पर देखा अतः इसे कम्प्यूटर युद्ध या वीडियों गेम वार की संज्ञा दी गई।
बिल क्लिंटन का दौर-
रिपब्लिकन पार्टी के जाॅर्ज बुश भले ही प्रथम खाड़ी युद्ध जीतेने में सफल रहे हो लेकिन सन् 1992 में अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार बिल क्लिंटन से चुनाव हार गये। क्लिंटन लगातार आठ वर्षों तक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे उन्होने अपनी नीति में परिवर्तन किया और विदेश नीति के बजाए घरेलु नीतियों पर ज्यादा ध्यान दिया मसलन लोकतन्त्र को बढ़ावा, पर्यावरण परिवर्तन, विश्व व्यापार में वृद्धि आदि।
बिल क्लिंटन के दौर में सैन्य कार्रवाईयां –
1. युगोस्लाविया के विरूद्ध कार्रवाई- युगोस्लाविया के कोसोवो प्रान्त में रहने वाले अल्बानियाई लोगों के आन्दोलनों को कुचलने के लिए सैन्य कार्रवाई की, अमेरिका के नेतृत्व में नाटो की सेना ने यूगोस्लाविया पर बमबारी की जिसके परिणामस्वरूप दो प्रमुख परिवर्तन हुए- युगोस्लाविया में स्लोबदान मिलोसेविच की सरकार का पतन हुआ तथा कोसोवो में नाटो की सेना का ठहराव हो गया।
2. आॅपरेशन इनफाइनाइट रीच-;व्चमतंजपवद प्दपिदपजम त्मंबीद्ध. सन् 1998 में आतंकवादी संगठन अलकायदा जिसका प्रमुख ओसामा बिन लादेन था को नैरोबी (केन्या) तथा दारे सलाम (तंजानिया) के अमरीकी दूतावासों पर हमले का दोषी ठहराया गया और जवाबी कार्रवाई करते हुए अमरीका ने सूडान और अफगानिस्तान स्थित अलकायदा के ठिकानों पर क्रूज मिसाइलों से हमले किए। इस कार्रवाई को अंजाम देने के लिए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ से आज्ञा लेने या अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों की परवाह नहीं कि जो विश्व में अमरीकी वर्चस्व को दर्शाता हैं।
9ध्11 और आतंकवाद के विरूद्ध विश्वव्यापी युद्ध-
11 सितम्बर 2001 को प्रातः 8 बजकर 46 मिनट पर अमरीका के वल्र्ड ट्रेड सेन्टर तथा पेन्टागन (अमरीकी रक्षा विभाग का मुख्यालय) विमानों के द्वारा जबरदस्त आतंकी हमला हुआ, जिसमें लगभग 3000 हजार लोग मारे गये।
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