अमीर खुसरो हिंदी के किस काल के कवि थे
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अमीर खुसरो का पूरा नाम अबुल हसन यमीनुद्दीन था। अमीर खुसरो दहलवी का जन्म में उत्तर-प्रदेश के एटा जिले के पटियाली नामक ग्राम में गंगा किनारे हुआ था। गाँव पटियाली उन दिनों मोमिनपुर या मोमिनाबाद के नाम से जाना जाता था। अमीर खुसरो दिल्ली के निकट रहने वाले एक प्रमुख लेखक, गायक और संगीतकार थे। उनका परिवार कई पीढ़ियों से राजदरबार से सम्बंधित था।
इतिहास लेखन के अलावा अमीर खुसरो ने गायन की अनेक रागों – सनम, धोरा, तोङी, मियां की मल्हार का निर्माण किया तथा तबला, सारंगी जैसे वाद्य यंत्रों का भी निर्माण किया है।
अमीर खुसरो ने 7 सुल्तानों का शासन(बलबन, मुहम्मद, कैकुबद, जलालुद्दीन खिलजी,अलाउद्दीन खिलजी,मुबारक शाह खिलजी, ग्यासुद्दीन तुगलक ) देखा था I अमीर खुसरो प्रथम मुस्लिम कवि थे जिन्होंने हिंदी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया है I अमीर खुसरो पहले व्यक्ति थे जिन्होंने हिंदी, हिन्दवी और फारसी में एक साथ लिखा I उन्हे खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है I सबसे पहले उन्हीं ने अपनी भाषा के लिए हिन्दवी का उल्लेख किया था।
वे फारसी के कवि भी थे। उनको दिल्ली सल्तनत का आश्रय मिला हुआ था। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की है जिनका इतिहास को जानने में महत्त्वपूर्ण सहयोग रहा है।
ये मध्य एशिया के तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र थे। खुसरो की माँ बलबनके युद्धमंत्री इमादुतुल मुल्क की पुत्री तथा एक भारतीय मुसलमान महिला थी।
खुसरो ने अपना सारा जीवन राज्याश्रय में ही बिताया। राजदरबार में रहते हुए भी खुसरो हमेशा कवि, कलाकार, संगीतज्ञ और सैनिक ही बने रहे।
साहित्य के अतिरिक्त संगीत के क्षेत्र में भी खुसरो का महत्वपूर्ण योगदान है I भारतीय गायन में क़व्वालीऔर सितार को इन्हीं की देन माना जाता है
मध्य एशिया की लाचन जाति के तुर्क सैफुद्दीन के पुत्र अमीर खुसरो का जन्म सन् 1253ईस्वी (६५२ हि.) में एटा उत्तर प्रदेश के पटियाली नामक कस्बे में हुआ था। लाचन जाति के तुर्क चंगेज खाँ के आक्रमणों से पीड़ित होकर बलबन (१२६६(1266)-१२८६(1286) ई0) के राज्यकाल में ''शरणार्थी के रूप में भारत में आ बसे थे।