'अमीर लोग नौकरों पर विश्वास नहीं करते' कथन की सत्यता की पुष्टि में अपने विचार
लिखिए। सहमत होने का मुख्य कारण भी लिखिए।
Answers
Answer:
अगर ग़रीबों को ये पता चल जाए कि अमीर कितने अमीर हैं, तो सड़कों पर दंगे होंगे.'
अमरीकी अभिनेता और कॉमेडियन क्रिस रॉक ने ये बात 2014 में न्यूयॉर्क पत्रिका को दिए एक इंटरव्यू में कही थी. क्रिस अमीर और ग़रीब के बीच बढ़ती खाई पर बात कर रहे थे. ये बात कहकर उन्होंने अमीर-ग़रीब के भेद पर रिसर्च की चुनौतियों को उजागर कर दिया.
आख़िर अमीर और ग़रीब के बीच फ़ासले को नापने का सब से अच्छा तरीक़ा क्या है?
अमीर-ग़रीब के बीच फ़र्क़ का पता लगाने वाले ज़्यादातर रिसर्च, आमदनी को पैमाना बनाते हैं. इसकी बड़ी वजह है कि आमदनी से जुड़े आंकड़े ज़्यादा और आसानी से मिल जाते हैं. मगर, हमें समझना होगा कि अमीर कोई एक साल की आमदनी से रईस नहीं बन जाते. ये तो बरसों-बरस संपत्ति जोड़ने की वजह से होता है. अब पहले की संपत्ति का हिसाब लगाना थोड़ा मुश्किल होता है.अमीर लोग यही चाहते हैं कि उनकी संपत्ति और आमदनी को लेकर हम अटकलें ही लगाते रहें. कभी हक़ीक़त से वाबस्ता न हों. वरना, वही होगा, जिसका अंदेशा क्रिस रॉक ने इंटरव्यू में जताया था.
जो लोग धनी और ग़रीब लोगों के बीच फ़ासले पर रिसर्च करते हैं, उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा आंकड़ों की ज़रूरत महसूस होती है ताकि इस खाई की गहराई और फ़ासले का सटीक अंदाज़ा लगाया जा सके. हालांकि कोई ये नहीं चाहता कि सच्चाई पता चलने पर हिंसा हो. मगर समाज के तबक़ों के बीच कितना फ़ासला है, ये सच सबको पता होना ज़रूरी है.
अमीर-ग़रीब के बीच खाई की सबसे अच्छी जानकारी हमें लोगों की संपत्ति का आकलन कर के मिलती है.
चीन के दुनिया का दूसरा सबसे अमीर देश होने का सच
वो मुसलमान जो 'इतिहास का सबसे अमीर आदमी' था