अमित अपने छोटे भाई अनिल को व्यायाम का महत्व समझाते हुए पत्र लिखता हैं |
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4/3, मयूर विहार,
नई दिल्ली।
प्रिय राजेश,
सदा प्रसन्न रहो। कल पिताजी का पत्र आया था। उन्होंने तुम्हारे स्वास्थ्य के बारे । में लिखा था कि तुम कुछ दिनों से अस्वस्थ हो । परीक्षा में भी तुम्हारे कम अंक आए हैं। देखो राजेश स्वास्थ्य के बिना इस संसार में कुछ नहीं है।
अस्वास्थ्यता भी एक अभिशाप है। शरीर को शक्ति सम्पन्न बनाने के लिए तुम्हें व्यायाम का सहारा लेना होगा। व्यायाम करने से शरीर के अंग पुष्ट होते हैं। सहन शक्ति में वृद्धि होती है। रक्त का संचार ठीक प्रकार से होता है। पाचन शक्ति बढ़ती है।
यदि तुम नियम से व्यायाम करोगे तो तुम कभी बीमार नहीं हो सकते । प्रायः उठकर सैर करने जाया करो। शाम को बैडमिंटन या फुटबाल खेला करो, जिससे तुम्हारे शरीर में स्फूर्ति का संचार हो। तुम अगले पत्र में अपनी दिनचर्या अवश्य लिखना। मेरे पत्र पर भी अमल करना न भूलना। माताजी व पिताजी को प्रणाम।
तुम्हारा भाई,
क. ख. ग.
दिनांक : 5 अप्रैल, 1999
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