* अमरनाथ घर के भीतर कैनवास पर फूलों, पत्तों झरने और हरियाली के चित्र बनाते, वहीं घर के बाहर की जितनी खुली जमीन थी, माली के साथ उन्होंने उस जमीन को तैयार करवाया था। सामने की जमीन में बगीचा बनाया था, जिसमें रंग-बिरंगे मौसम के फूल क्यारियों में लगाए थे। उन्होंने ऋतुओं के क्रम से फूलों के पौधे लगवाए थे। गरमी के बाद बरसात और बरसात के बाद सरदी के पौधों में फूल खिलते । घर के पीछे की जमीन में उन्होंने फलों के पेड़ लगा दिए थे । घर की चारदीवारी के साथ फूलों और फलों की बेलें चढ़ा दी थीं । घर और बाहर के लोग आश्चर्य से उनकी ओर देखते । वे हँसते, मैं जीवन का व्याकरण बना रहा हूँ। जीवन के अछूते सच के शिखर पर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ लगा रहा हूँ,' कहकर हँसने लगते ।।।। दिये गये गद्य का गद्य आकलन करो।
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