History, asked by Sakthisri8064, 11 months ago

Ambedkar participation in indian constitution in hindin

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Answered by Anonymous
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Dr.B .R .Ambedkar the great person of India . He was the most important role play of India's constitution .Because Bhimrao Ambedkar, known as Babasaheb, was an Indian jurist, economist, politician and social reformer who inspired the Modern Buddhist Movement and campaigned against social discrimination of Dalits .
Answered by ashleyghoul
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भारतीय संविधान के स्मृतिकार बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर को कहा जाता है क्योंकि इस संविधान के निर्माण में उन्होंने ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर हमें यह जानना भी आवश्यक है कि बाबासाहेब को संविधान सभा में प्रवेश करने के पूर्व किन-किन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा जो उन्हें ऐसे उच्च शिखर तक ले गईं।


सन् 1945 में जब द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त हुआ, उसके बाद भारत को सत्ता सौंपने का मसला खड़ा हो गया। 24 मार्च, 1946 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री लॉर्ड एटली ने ब्रिटिश मंत्रीमंडल के तीन सदस्य – लॉर्ड पेथिक लॉरेंस, सर स्टेफर्ड क्रिप्स और ए.बी. एलेग्जेंडर को भारत में राजनीतिक गतिरोध को रोकने व भारत को सत्ता सौंपने के उद्देश्य से भारत भेजा। इसे “केबीनेट मिशन” कहा गया। मिशन ने भारत के तथाकथित प्रमुख नेताओं से मुलाकात की, उसके बाद 5 अप्रेल, 1946 को उन्होंने अंबेडकर और मास्टर तारासिंह से भी मुलाकात की, जिसमें अंबेडकर ने सदियों से शोषित व वंचित वर्ग के लिए पृथक चुनाव, पृथक आवास और नये संविधान में उनके सुरक्षा संबंधित मांगे प्रस्तुत की, जिनपर पूर्णतः ध्यान नहीं दिया गया।


केबीनेट मिशन ने जब संविधान सभा व अंतःकालीन सरकार की रूपरेखा संबंधी योजना की घोषणा कर दी। जिसमें अंबेडकर के द्वारा रखी गई कथित दलितों के लिए मांगों की उपेक्षा की गई। फलतः उन्होंने संगठित होकर आंदोलन कर दिया। जिसके चलते सवर्ण हिन्दुओं और दलितों में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई और सवर्णों ने अंबेडकर के “भारत भूषण” प्रेस को आग लगा दी जिसका संचालन अंबेडकर के पुत्र “यशवंतराव अंबेडकर” करते थे।


उसके बाद केबीनेट मिशन ने हिन्दू-मुस्लिम समान प्रतिनिधित्व के आधार पर अंतःकालीन सरकार की रूपरेखा संबंधी योजना की घोषणा की, जिसमें 14 सदस्य थे – 5 कांग्रेसी सवर्ण हिन्दू, 1 कांग्रेसी दलित, 5 मुस्लिम लीगी और पारसी, सिख तथा ईसाई का एक-एक प्रतिनिधि। लेकिन हिन्दू-मुस्लिम मतभेदों के चलते इस योजना को स्वीकार नहीं किया गया। उधर डॉ. अंबेडकर ने दलित वर्गों की उपेक्षा किए जाने पर अहिंसात्मक संघर्ष करने की घोषणा कर दी।

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