Amena eid ke din kuy ro rhe te
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ईदगाह' भारत के महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की एक कहानी द्वारा लिखी गई है। यह कहानी एक लड़के के प्रति दादी के लिए प्यार और भावना की है | इस कहानी में छोटा लड़का जिसके मां-बाप की मौत हो चुकी थी, और वो अपनी दादी के पास रहता था और बहुत प्यार करता था|
ईद के दिन अमीना इसलिए उदास थी क्योंकि आज ईद का दिन है और उसके घर में अन्न का दाना तक नहीं है और ना पैसे कुछ भी सामना ले ने के लिए | अमीना ही हामिद की सब कुछ थी वो उसे आज के दिन उसके लिए कुछ नहीं कर पा रही थी | यह सोच कर अन्धकार और निराशा में वह डूबी जा रही है।
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