ameriki varchasva sthapit hone k 5 karan
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Explanation:
अमेरिकी वर्चस्व स्थापित होने के 5 कारण-
१. अमेरिकी वर्चस्व सैन्य प्रभुत्व, आर्थिक शक्ति, राजनीतिक रुतबे और सांस्कृतिक बढ़त के रूप में शीतयुद्ध के अंत के बाद विश्व में देखा जा सकता है।
२.अमेरिका सैन्य प्रौद्योगिकी में इतना आगे है कि विश्व का कोई भी देश इस मामले में उसकी बराबरी नहीं कर सकता।
समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व
शीत युद्ध की समाप्ति के साथ ही संयुक्त राज्य अमरीका विश्व की सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरा अब उसे टक्कर देने वाली शक्ति विश्व में मौजूद नही थी। शीत युद्ध के बाद वाले दौर को अमरीकी प्रभुत्व या एक धु्रवीय विश्व का दौर कहा जाने लगा। सन् 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही अमरीकी वर्चस्व प्रारम्भ हो गया। कुछ हद तक कहा जा सकता हैं कि अमेरीकी वर्चस्व की झलक तो सन् 1945 से ही नजर आने लगी थी जो 1991 में स्पष्ट हो गई।
नई विश्व व्यवस्था की शुरूआत
प्रथम खाड़ी युद्ध- ( 2 अगस्त 1990-28 फरवरी 1991 )-
इराक-कुवैत विवाद में इराक का दावा था कि कुवैत इराक का ही एक क्षेत्र हैं और इसे पुनः इराक में शामिल करने का प्रयास किया गया अतः इराक ने कुवैत पर हमला किया, इराक के विरूद्ध कार्रवाई- युगोस्लाविया के कोसोवो प्रान्त में रहने वाले अल्बानियाई लोगों के आन्दोलनों को कुचलने के लिए सैन्य कार्रवाई की, अमेरिका के नेतृत्व में नाटो की सेना ने यूगोस्लाविया पर बमबारी की जिसके परिणामस्वरूप दो प्रमुख परिवर्तन हुए- युगोस्लाविया में स्लोबदान मिलोसेविच की सरकार का पतन हुआ तथा कोसोवो में नाटो की सेना का ठहराव हो गया।
2. आॅपरेशन इनफाइनाइट रीच-;व्चमतंजपवद प्दपिदपजम त्मंबीद्ध. सन् 1998 में आतंकवादी संगठन अलकायदा जिसका प्रमुख ओसामा बिन लादेन था को नैरोबी (केन्या) तथा दारे सलाम (तंजानिया) के अमरीकी दूतावासों पर हमले का दोषी ठहराया गया और जवाबी कार्रवाई करते हुए अमरीका ने सूडान और अफगानिस्तान स्थित अलकायदा के ठिकानों पर क्रूज मिसाइलों से हमले किए। इस कार्रवाई को अंजाम देने के लिए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ से आज्ञा लेने या अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों की परवाह नहीं कि जो विश्व में अमरीकी वर्चस्व को दर्शाते है l
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भक्त व sorit संघ संबंधों का वर्णन कीजिए