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क
करने
राम बहुत शात
शम विनसूता के सा॥ कहत
पर
अनुष तोडने
वाला लोई उनका दास ही होगा ।
समाधी होने का परिचय देते हुए
अपनी
मधुर
ताफी से अंत मै आँसो से संकेत कर लक्ष्मण को
शोर रहने को कहते हैं।
१०५., सुमन दी नही उरती
नही उठती- प्रस्तुत पावन
प्रस्तुत पाव को भाववक्रिके
नंद लिए?
उल्प सुगन से जल्दी नहीं उठा जाता।
DELTA
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Answer:
वाक्य में शब्दों के प्रयुक्त होने पर शब्द पद कहलाते हैं। वाक्य में शब्द नहीं, पद होते हैं। वाक्य में प्रत्येक पद के स्वरूप तथा अन्य पदों के साथ उसका संबंध बताने की क्रिया को पद-परिचय कहते हैं।
पदपरिचय का अर्थ है वाक्य में प्रयुक्त पदों का व्याकरणिक परिचय देना। 'पदनिर्देश', 'पदच्छेद', 'पदविन्यास', पदपरिचय के ही पर्यायवाची शब्द हैं। पदपरिचय में वाक्य के पदों का परिचय, उनका स्वरूप एवं दूसरे पदों के साथ उनके संबंध को दर्शाना होता है, अर्थात व्याकरण संबंधी ज्ञान की परीक्षा और उस विद्या के सिद्धांतों का व्यावहारिक उपयोग ही पदपरिचय का मुख्य उद्देश्य है।
पद परिचय के भेद
प्रयोग के आधार
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