Amritsar ke goldem temple ki 10 vishesh baatein
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स्वर्ण मंदिर को श्री हरमंदिर साहिब या श्री दरबार साहिब भी कहा जाता है। इस मंदिर पर स्वर्ण की परत के कारण इसे स्वर्ण मंदिर कहा जाता है।
स्वर्ण मंदिर में प्रवेश करने से पहले लोग मंदिर के सामने सिर झुकाते हैं, फिर पैर धोने के बाद सीढ़ियों से मुख्य मंदिर तक पहुंचते हैं।
यहां की सीढ़ियों के साथ-साथ स्वर्ण मंदिर से जुड़ी हुई सारी घटनाएं और इसका पूरा इतिहास लिखा हुआ है।
मान्यता है कि इस गुरुद्वारे का नक्शा करीब 400 साल पहले गुरु अर्जुन देव ने तैयार किया था। यह गुरुद्वारा वास्तु शिल्प सौंदर्य की अनूठी मिसाल है। मंदिर में की गई नक्काशी और सुंदरता सभी का मन मोह लेती है। गुरुद्वारे में चारों दिशाओं में दरवाजे हैं।
यहां हमेशा लंगर का प्रसाद ग्रहण करने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती है। लंगर की पूरी व्यवस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति की ओर से की जाती है। हर रोज यहां करीब 40 हजार लोग लंगर का प्रसाद ग्रहण करते हैं। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए श्री गुरु रामदास सराय में ठहरने की व्यवस्था भी है।
यहां आने वाले सभी श्रद्धालुजन सरोवर में स्नान करने के बाद ही गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाते हैं। यह प्राचीन परंपरा है। स्वर्ण मंदिर का विशेष धार्मिक महत्व है। यह गुरुद्वारा एक बड़े सरोवर के मध्य स्थित है। गुरुद्वारे का बाहरी हिस्से पर सोने की परत है, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर या गोल्डन टेंपल के नाम से जाना जाता है।