An article of about 500 words on sustainable developement in hindi
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विश्व के सभी देशों में आज विकास के पथ पर एक-दूसरे से आगे निकल जाने की होड़-सी मची है और इसके लिए औद्योगीकरण से लेकर प्राकृतिक संसाधनों के दोहन तक के हर सम्भव उपाय किए जा रहे हैं । बिकास की इस होड़ में हम यह भूल गए है कि हम इसे किस मूल्य पर हासिल करना चाहते हैं ।
इसमें दोराय नहीं है कि बिकास के लिए हम पूर्णतः प्रकृति पर निर्भर है, क्योंकि इसके लिए आवश्यक तेल से लेकर कोयला एवं जल भी हमें प्रकृति से ही प्राप्त होता है और ये सभी प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर सीमित मात्रा में विद्यमान है ।
जिस तरह से विश्व की जनसंख्या बढ़ रही है, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्ष तक यह बढ़कर 8 अरब से भी अधिक हो जाएगी और जिस तरह से प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है, उसका दुष्परिणाम यह होगा कि आने वाली मानव पीढ़ियों के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधन पृथ्वी पर उपलब्ध ही नहीं होंगे ।
हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा है- ”हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के माध्यम से पानी, ऊर्जा, निवास स्थान, कचरा प्रबन्धन एवं पर्यावरण के क्षेत्रों में पृथ्वी द्वारा झेली जाने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए कार्य करना होगा ।”
अर्थशास्त्रियों, पर्यावरणविदों एवं वैज्ञानिकों ने इस समस्या का हल यह बताया है कि हम अपने विकास के लिए उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय इस बात का भी ध्यान रखे कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ये संसाधन बचे रहें ।
भावी पीढ़ी के लिए संसाधनों के बचाव के मद्देनजर ही सतत विकास (सस्टेनेबल डेबलपमेण्ट) की अवधारणा का बिकास हुआ । हमारे रिजर्व बैंक के गबर्नर श्री रघुराम राजन का कहना है- ”हमें यह निश्चित करके चलना चाहिए कि पूरे विश्व में वृद्धि के वास्तविक एवं सतत स्रोत हो ।”
सतत बिकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि भावी पीढ़ी की आवश्यकताओं में भी कटौती न हो ।
आशा करता हूँ की ये काम करेगा
कृपया मुझे BRAINLIEST कर दो