Hindi, asked by rishilaugh, 1 year ago

An Essay on Guru Ravidas ji | Guru Ravidas ji par nibandha hindi mein

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संत रविदास | Sant Ravidas | Saint Ravidas

अपनी सहज कवित्व शक्ति से समाज को कुरीतियां  त्याग कर ईश्वर भक्ति की प्रेरणा देने वालों में संत रविदास का नाम अग्रणी हैं| ये संत कबीर के गुरुभाई थे|  लोकप्रचलन में इनका नाम रैदास प्रसिद्ध था| इनके और कबीरदासजी के बीच कई समानताएं थी| दोनों चर्मकार कुल में उत्पन्न हुए थे| दोनों ही जूते बनाते हुए ईश्वर की शुद्ध मन से भक्ति किया करते थे| दोनों को ही समाज में व्याप्त आडम्बर से घृणा थी| दोनों ही कविता के माध्यम से लोगों को शुद्ध चित्त रखने का सन्देश देते थे| इनके जन्म विषयक काल में कुछ मतभेद है| इनका जन्म स्थल काशी माना गया है| इनके पिता का नाम संतोखदास और माता का नाम कलसा देवी बताया जाता है| वे अपना व्यवसाय पूर्ण तल्लीनता से करते थे| पर संतो के विषय में उनके हृदय में विशेष आदर था| वे उनसे जूतों का मूल्य नहीं लेते थे| उनकी इस उदारता को उनके माता-पिता पसंद नहीं करते थे| इसलिए उन्हें अलग कुटिया  बनाकर रहना पड़ा| वे हर स्थिति में प्रसन्न रहे| एकबार उनके पड़ोसी गंगा स्नान हेतु जा रहे थे| उनसे भी आग्रह किया| उन्होंने किसी को जूते बनाकर देने का वादा किया था अत: उन्होंने अपने काम को प्राथमिकता दी| उन्होंने मन की शुद्धि के लिए भजन व स्नेह आचरण को सर्वश्रेष्ठ बताया| ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ उनकी ये उक्ति आज भी प्रचलन में है| अगर मन के विकारों पर नियन्त्रण कर लिया और अपना कर्तव्य पूर्ण कर लिया तो घर के किसी बर्तन में पड़ा पानी भी गंगाजल के समान निर्मल है| अगर मन में कपट है, तो गंगास्नान भी अनुपयोगी है|वे जात-पांत के विरोधी थे और सभी रूपों में परमात्मा को एक रूप मानते थे| ‘प्रभुजी तुम चंदन हम पानी’ , उनके द्वारा रचित ये भजन आज भी जनमानस में लोकप्रिय और गेय है| इसके द्वारा एक भक्त का पूर्ण समर्पण उसके ईश्वर के प्रति दर्शाया गया है| उनकी निश्छल भक्ति से प्रभावित होकर समाज के सभी वर्गों के लोग उनके अनुयायी बन गए थे| प्रचलित है कि भक्त कवयित्री मीराबाई ने इनका शिष्यत्व स्वीकार किया था| सारत: आज भी संत रैदास के उपदेश व विचारधारा प्रासंगिक है| मानव अपने जन्म, कुल, व्यवसाय, आर्थिक स्थिति के आधार पर महान नहीं कहलाता वरन अपने विचारो., परोपकार भावना, कर्तव्यनिष्ठा के आधार





Anonymous: SPLENDID ANSWER!!! KEEP IT UP!!
GovindKrishnan: Thanks for this Great Answer Sir! ☺
Answered by manueljana3
4

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Explanation:

संत रविदास | Sant Ravidas | Saint Ravidas

अपनी सहज कवित्व शक्ति से समाज को कुरीतियां  त्याग कर ईश्वर भक्ति की प्रेरणा देने वालों में संत रविदास का नाम अग्रणी हैं| ये संत कबीर के गुरुभाई थे|  लोकप्रचलन में इनका नाम रैदास प्रसिद्ध था| इनके और कबीरदासजी के बीच कई समानताएं थी| दोनों चर्मकार कुल में उत्पन्न हुए थे| दोनों ही जूते बनाते हुए ईश्वर की शुद्ध मन से भक्ति किया करते थे| दोनों को ही समाज में व्याप्त आडम्बर से घृणा थी| दोनों ही कविता के माध्यम से लोगों को शुद्ध चित्त रखने का सन्देश देते थे| इनके जन्म विषयक काल में कुछ मतभेद है| इनका जन्म स्थल काशी माना गया है| इनके पिता का नाम संतोखदास और माता का नाम कलसा देवी बताया जाता है| वे अपना व्यवसाय पूर्ण तल्लीनता से करते थे| पर संतो के विषय में उनके हृदय में विशेष आदर था| वे उनसे जूतों का मूल्य नहीं लेते थे| उनकी इस उदारता को उनके माता-पिता पसंद नहीं करते थे| इसलिए उन्हें अलग कुटिया  बनाकर रहना पड़ा| वे हर स्थिति में प्रसन्न रहे| एकबार उनके पड़ोसी गंगा स्नान हेतु जा रहे थे| उनसे भी आग्रह किया| उन्होंने किसी को जूते बनाकर देने का वादा किया था अत: उन्होंने अपने काम को प्राथमिकता दी| उन्होंने मन की शुद्धि के लिए भजन व स्नेह आचरण को सर्वश्रेष्ठ बताया| ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ उनकी ये उक्ति आज भी प्रचलन में है| अगर मन के विकारों पर नियन्त्रण कर लिया और अपना कर्तव्य पूर्ण कर लिया तो घर के किसी बर्तन में पड़ा पानी भी गंगाजल के समान निर्मल है| अगर मन में कपट है, तो गंगास्नान भी अनुपयोगी है|वे जात-पांत के विरोधी थे और सभी रूपों में परमात्मा को एक रूप मानते थे| ‘प्रभुजी तुम चंदन हम पानी’ , उनके द्वारा रचित ये भजन आज भी जनमानस में लोकप्रिय और गेय है| इसके द्वारा एक भक्त का पूर्ण समर्पण उसके ईश्वर के प्रति दर्शाया गया है| उनकी निश्छल भक्ति से प्रभावित होकर समाज के सभी वर्गों के लोग उनके अनुयायी बन गए थे| प्रचलित है कि भक्त कवयित्री मीराबाई ने इनका शिष्यत्व स्वीकार किया था| सारत: आज भी संत रैदास के उपदेश व विचारधारा प्रासंगिक है| मानव अपने जन्म, कुल, व्यवसाय, आर्थिक स्थिति के आधार पर महान नहीं कहलाता वरन अपने विचारो., परोपकार भावना, कर्तव्यनिष्ठा के आधार

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