AN ESSAY ON INTERNET - VARDAN YA ABHISHAP IN HINDI ONLY?????
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छोटे बच्चों से लेकर युवा वर्ग और मध्यम वर्ग के लोगों में इंटरनेट को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। परन्तु जहां एक तरफ इंटरनेट हमारे लिए वरदान साबित हो रहा है वहीं दूसरी ओर इंटरनेट के अत्याधिक इस्तेमाल से यह नुक्सान दायक साबित हो रहा है। इंटरनेट कहां तक तथा कितना युवाओं के लिए सही है, इसी विषय को लेकर सोमवार को दैनिक जागरण की ओर से युवाओं से बात की गई तो उन्होंने अपने विचार कुछ यूं व्यक्त किए।
प्रियंका का कहना है कि वह एमसीए कर रही है और उनका इंटरनेट के ज्ञान के बिना पढ़ाई पूरी करना नामुमकिन है। आज के समय मे इंटरनेट की जानकारी होना बहुत जरूरी है। क्योंकि हर क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए इंटरनेट की जानकारी आज अनिवार्य हो चुकी है। प्रियंका का कहना है कि इंटरनेट का एक सीमा तक इस्तेमाल फायदेमंद है।
रोजी का कहना है कि इंटरनेट द्वारा आज हर प्रकार जानकारी प्राप्त की जा सकती है। आज के समय में जरूरी है कि युवा वर्ग इंटरनेट का सही इस्तेमाल करे। निशा का कहना है कि वह दिन में करीब आठ घंटे तक इंटरनेट का प्रयोग करती है। उसे पता है कि इतना अधिक इंटरनेट चलाना उसके लिये घातक है, पर शिक्षा में अच्छे अंक लेने के लिए अब ये उसकी मजबूरी है। निशा ने कहा कि आज के समय मे फेसबुक और ऑरकुट पर अकाउंट बनाना स्टेटस सिंबल बन चुका है।
दीपिका शर्मा का कहना है कि इंटरनेट द्वारा हम दूर बैठे मित्रों, रिश्तेदारों से संपर्क स्थापित कर सकते हैं जोकि वार्तालाप करने का सस्ता और आसान माध्यम है। सुप्रिया का कहना है कि अभी पिछले दिनों ही फेसबुक के गलत इस्तेमाल को लेकर कई लोगों पर केस दर्ज हुए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन को चाहिए कि ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करे ताकि दूसरे लोगों ऐसा गलत काम करने से गुरेज करें।
नेहा सैनी का कहना है कि इंटरनेट हमारे लिए तब तक वरदान है जब तक हम एक सीमा तक इसका इस्तेमाल करें। अन्यथा यह हमारे लिए अभिशाप बन जाएगा। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के माध्यम से हम अपने कार्यो को शीघ्रता से कर सकते हैं।
प्रियंका का कहना है कि वह एमसीए कर रही है और उनका इंटरनेट के ज्ञान के बिना पढ़ाई पूरी करना नामुमकिन है। आज के समय मे इंटरनेट की जानकारी होना बहुत जरूरी है। क्योंकि हर क्षेत्र में नौकरी पाने के लिए इंटरनेट की जानकारी आज अनिवार्य हो चुकी है। प्रियंका का कहना है कि इंटरनेट का एक सीमा तक इस्तेमाल फायदेमंद है।
रोजी का कहना है कि इंटरनेट द्वारा आज हर प्रकार जानकारी प्राप्त की जा सकती है। आज के समय में जरूरी है कि युवा वर्ग इंटरनेट का सही इस्तेमाल करे। निशा का कहना है कि वह दिन में करीब आठ घंटे तक इंटरनेट का प्रयोग करती है। उसे पता है कि इतना अधिक इंटरनेट चलाना उसके लिये घातक है, पर शिक्षा में अच्छे अंक लेने के लिए अब ये उसकी मजबूरी है। निशा ने कहा कि आज के समय मे फेसबुक और ऑरकुट पर अकाउंट बनाना स्टेटस सिंबल बन चुका है।
दीपिका शर्मा का कहना है कि इंटरनेट द्वारा हम दूर बैठे मित्रों, रिश्तेदारों से संपर्क स्थापित कर सकते हैं जोकि वार्तालाप करने का सस्ता और आसान माध्यम है। सुप्रिया का कहना है कि अभी पिछले दिनों ही फेसबुक के गलत इस्तेमाल को लेकर कई लोगों पर केस दर्ज हुए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन को चाहिए कि ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करे ताकि दूसरे लोगों ऐसा गलत काम करने से गुरेज करें।
नेहा सैनी का कहना है कि इंटरनेट हमारे लिए तब तक वरदान है जब तक हम एक सीमा तक इसका इस्तेमाल करें। अन्यथा यह हमारे लिए अभिशाप बन जाएगा। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के माध्यम से हम अपने कार्यो को शीघ्रता से कर सकते हैं।
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आज का युग विज्ञान का युग है। आज हमें जितनी भी सुख सुविधाएँ प्राप्त हैं, वे सब विज्ञान के कारण हैं। इसने हमारे जीवन में अमृत घोल दिया है। इसलिए यह हमारे लिए वरदान है। पर विज्ञान ने कुछ ऐसे कार्य भी किए हैं, जिनसे मानव जीवन को खतरा पैदा हो गया है। इस दृष्टि से विज्ञान मानव जाति के लिए अभिशाप सिद्ध हो रहा है।
विज्ञान वरदान है। यह उस अलादीन के चिराग के समान है जिससे मनुष्य की सारी आवश्यकताएँ तुरन्त पूरी हो जाती हैं। नित्य नए नए आविष्कार हो रहे हैं। नई नई वस्तुएँ बाजारों में आ रही हैं। ये सारी वस्तुएँ विज्ञान के आविष्कारों का परिणाम हैं। इनसे जीवन में सुख और सुविधाएँ बढ़ रही हैं।
विज्ञान के आविष्कारों के कारण स्थान और समय की दूरी भी समाप्त हो रही है। एक समय था जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए मनुष्य को कई दिन, महीने और कई बार कई कई साल तक लग जाते थे। पर अब दिनों में पूरी होने वाली यात्रा घंटों में पूरी हो जाती हैं। तेज गति से चलने वाले वायुयानों ने देशों की दूरी को समाप्त कर दिया है। टेलीफोन तार बेतार के तार आदि वैज्ञानिक आविष्कारों से विश्व के एक कोने में घटित होने वाली घटनाओं के समाचार मिनटों में विश्व के दूसरे कोने में पहुँच जाते हैं।
विज्ञान युग वास्तव में बटन युग है। बटन दबाइए पंखा आपको हवा करने के लिए तैयार हो जाता है। एक बार फिर बटन दबाइए, आप की आज्ञा का पालन करते हुए पंखा हवा करना बंद कर देता है। आपके बटन दबाने की जरूरत है, बस टी.वी. चल पड़ता है, सुन्दर दृश्य पर्दे पर दिखाई देने लगते हैं, किसी की भी सुरीली आवाज सुनाई देने लगती है। गायक आँखों के सामने प्रत्यक्ष हो जाता है।
जरा सोचिए यह सब विज्ञान के ही तो कारण है। पुस्तकें, समाचार पत्र, रेडियो, मोटर गाडि़याँ विज्ञान के वरदानों के कारण ही तो हैं।
विज्ञान वरदान है। यह उस अलादीन के चिराग के समान है जिससे मनुष्य की सारी आवश्यकताएँ तुरन्त पूरी हो जाती हैं। नित्य नए नए आविष्कार हो रहे हैं। नई नई वस्तुएँ बाजारों में आ रही हैं। ये सारी वस्तुएँ विज्ञान के आविष्कारों का परिणाम हैं। इनसे जीवन में सुख और सुविधाएँ बढ़ रही हैं।
विज्ञान के आविष्कारों के कारण स्थान और समय की दूरी भी समाप्त हो रही है। एक समय था जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए मनुष्य को कई दिन, महीने और कई बार कई कई साल तक लग जाते थे। पर अब दिनों में पूरी होने वाली यात्रा घंटों में पूरी हो जाती हैं। तेज गति से चलने वाले वायुयानों ने देशों की दूरी को समाप्त कर दिया है। टेलीफोन तार बेतार के तार आदि वैज्ञानिक आविष्कारों से विश्व के एक कोने में घटित होने वाली घटनाओं के समाचार मिनटों में विश्व के दूसरे कोने में पहुँच जाते हैं।
विज्ञान युग वास्तव में बटन युग है। बटन दबाइए पंखा आपको हवा करने के लिए तैयार हो जाता है। एक बार फिर बटन दबाइए, आप की आज्ञा का पालन करते हुए पंखा हवा करना बंद कर देता है। आपके बटन दबाने की जरूरत है, बस टी.वी. चल पड़ता है, सुन्दर दृश्य पर्दे पर दिखाई देने लगते हैं, किसी की भी सुरीली आवाज सुनाई देने लगती है। गायक आँखों के सामने प्रत्यक्ष हो जाता है।
जरा सोचिए यह सब विज्ञान के ही तो कारण है। पुस्तकें, समाचार पत्र, रेडियो, मोटर गाडि़याँ विज्ञान के वरदानों के कारण ही तो हैं।
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