an essay on-
‘मधुर वचन है औषधि, ---मीठे बोल और अपनापन बड़े से बड़े घाव को भर देते हैं।
वहीं यह भी कहा गया है, ‘औषधि कभी भी मीठी नहीं होती।’ अर्थात हित चाहने
वाली बातें कड़वी होती हैं।’ इस विषय पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।'
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मधुर वचन है औषधि कटुक वचन है तीर। अर्थात मीठी वाणी दवा के समान होती है और कड़वी बात तीर की तरह चुभ जाती है। राजनीति के शब्द योद्धा कड़वे वचन का इस्तेमाल शस्त्र के रूप में करते हैं। जिस प्रकार युद्ध की एक मर्यादा होती है कि कब किस शस्त्र का प्रयोग किया जाएगा और कब नहीं, ठीक उसी प्रकार शब्दों की भी एक मर्यादा होती है। इस मर्यादा को बनाए रखने के लिए अब अदालतों को भाषा विशेषज्ञ की भूमिका निभानी पड़ रही है।
दिल्ली की एक अदालत की बात करें तो उसने यह भूमिका निभाई है। अदालत के अनुसार डरपोक और मनोरोगी शब्दों में अपमान करने की क्षमता नहीं है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डरपोक और मनोरोगी कहा था। अदालत ने कहा है कि ये शब्द कहने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई अपमान नहीं होता।
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