Hindi, asked by kuhu14, 10 months ago

An essay on mere jeevan ka lakshya ( abhinetri ) in hindi ? guyz plz it's really important for my project !!!​

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Answered by ravi9848267328
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Answer:

मनुष्य का महत्वकांक्षी होना एक स्वभाविक गुण होता है। हर व्यक्ति जीवन में कुछ विशेष प्राप्त करने की इच्छा रखता है। मनुष्य अनेक प्रकार की कल्पनाएँ करता है। वह खुद को ऊपर उठाने के लिए योजनाएँ बनाता है। कल्पना तो सबके पास होती हैं लेकिन कल्पना को साकार करने की शक्ति केवल किसी-किसी के पास ही होती है। सपनों में तो सभी घूमते हैं।

सभी लोग महत्वकांक्षाओं के मोती प्राप्त करना चाहते हैं। मनुष्य कभी भी बिना उद्देश्य के कोई काम नहीं करता है मनुष्य का हर कार्य सोद्देश्य पूर्ण होता है। एक मनुष्य भी बिना उद्देश्य के कोई काम नहीं करता है। कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को सामने रखकर ही कार्य करता है। हमारा जीवन एक यात्रा की तरह होता है।

अगर यात्री को पता होता है कि उसे कहाँ पर जाना है तो वह अपने लक्ष्य की तरफ बढना शुरू कर देता है लेकिन जब यात्री को अपने लक्ष्य का ही पता नहीं होता है तो उसकी यात्रा निरर्थक हो जाती है। उसी तरह यदि एक विद्यार्थी को पता होता है कि उसे क्या बनना है तो वह उसी दिशा में प्रयत्न करना शुरू कर देता है और अपने लक्ष्य में सफल भी हो जाता है। जब एक विद्यार्थी का कोई उद्देश्य ही नहीं होता है तो उसका जीवन उसको कहीं पर भी नहीं ले जाता है।

बाल्यावस्था की समस्या : जब बच्चा छोटा होता है तो वह विद्यालय में प्रवेश करता है। उस समय में बच्चों के सामने अनेक लक्ष्य होते हैं। वह जैसे-जैसे लोगों के संपर्क में आता है वैसे-वैसे उस पर प्रभाव पड़ता है। कभी तो वह सोचने लगता है कि वह डॉक्टर बनेगा और कभी वह सोचने लगता है कि वह अध्यापक बनेगा और कभी इंजीनियर बनेगा।

अलग-अलग लोगों के लक्ष्य भी अलग-अलग होते हैं। कभी वह डॉक्टर बनकर रोगियों की सेवा करना चाहता है, कभी इंजीनियर बनकर इमारतें बनाना चाहता है, कभी नेता बनकर देश की सेवा करना चाहता है, कभी सैनिक बनकर देश की रक्षा करना चाहता है।

माँ-बाप भी यह कल्पना करते हैं कि वे अपने बच्चे को यह बनायेंगे, वह बनायेंगे लेकिन वास्तव में निर्णय तो बच्चों को खुद ही लेना पड़ता है। माँ-बाप को बच्चों पर अपनी मर्जी नहीं थोपनी चाहिए। विद्यार्थीकाल मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह मानव जीवन की आधारशिला के बराबर होता है।

यदि विद्यार्थी इस काल में अपने जीवन के लक्ष्य को निर्धारित कर लेते हैं तो वे जीवन को सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण बना लेता है और अपने देश और समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होता है। सभी लोगों की इच्छाएं अलग-अलग होती हैं लेकिन कुछ ही लोगों की इच्छाएं साकार हो पाती हैं।

डॉक्टर बनने का उद्देश्य : मैं अक्सर अपने दोस्तों को बात करते हुए सुनता हूँ की वे क्या बनना चाहते हैं लेकिन मैंने तो पहले से ही अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर रखा है। मेरा जीवन में एक ही लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूंगा। मैं डॉक्टर बनकर देश और समाज की रोगों से रक्षा करूंगा।

कुछ विद्यार्थी डॉक्टर इसलिए बनना चाहते हैं जिससे वे अधिक-से-अधिक धन कमा सकें लेकिन मेरा उद्देश्य यह नहीं है। मैं डॉक्टर बनकर गरीबों और पीड़ितों की सेवा करना चाहता हूँ। कुछ लोग अपने उद्देश्य को पाकर भी गलत रास्ते पर चल देते हैं वे अपने कर्तव्य को अच्छी तरह नहीं निभाते हैं।

मैं अपने लक्ष्य पर पहुंचने के बाद अपने कर्तव्य से नहीं भटकूँगा। मैं ऐसा चिकित्सा ज्ञान प्राप्त करना चाहता जिसे लोग पैसा के अभाव की वजह से प्राप्त नहीं कर पाते हैं। मैं डॉक्टर इसलिए बनना चाहता हूँ जिससे मैं गरीब लोगों की रोगों से रक्षा कर सकूं।

मैं उन्हें स्वस्थ रहने के लिए अनेक प्रकार के तरीके बताऊंगा जैसे- वे किस प्रकार जीवन-यापन करें, स्वास्थ्य और संतुलित भोजन के महत्व को समझें, किस प्रकार रोगों से खुद की रक्षा करें इन सब में मैं अपना पूरा योगदान दूंगा। मैं डॉक्टर बनकर अपने देश और समाज की सेवा करना चाहता हूँ।

शिक्षकों एवं डॉक्टर का महत्व : प्राचीनकाल के धार्मिक ग्रंथ भी घोषणा करते हैं कि दो वर्ग के मनुष्यों का समाज पर बहुत ज्यादा उपकार है। पहला वर्ग शिक्षकों का है जो लोगों के अंदर से अज्ञान को निकालकर ज्ञान का दीपक जलाकर उनके जीवन को सार्थक कर देते हैं।

दूसरा वर्ग डॉक्टर या चिकित्सक का होता है जो रोगी के रोगों को दूर करके उसे नया जीवन देता है। शिक्षा देना और रोगियों का इलाज करना दोनों ही पवित्र काम होते हैं और मैंने अपने जीवन के लक्ष्य के लिए इनमें से एक पवित्र लक्ष्य को चुन लिया है।

हमारे देश में जितने भी लोग डॉक्टरी की परीक्षा में पास होते हैं वे नगरों या शहरों में अपने अलग क्लीनिक खोल लेते हैं और धन जमा करना शुरू कर देते हैं और विदेशों की तरफ भागते है। ऐसे डॉक्टर कभी भी समाज और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य को नहीं समझते हैं।

वे अपना लक्ष्य सिर्फ धन कमाना मानते हैं। आज के समय में नगरों में ऐसे असंख्य नर्सिंग होम खुल चुके हैं। यहाँ पर जो डॉक्टर काम करते हैं वे मरीजों को गुमराह कर रहे हैं। यह अपने देश और देश में रहने वाले निवासियों के साथ विश्वासघात है।

ग्रामीणों के उपचार की आवश्यकता : मैं दूसरे लोगों की तरह नगर में क्लीनिक न खोलकर नगर से दूर गाँव में एक छोटा सा अस्पताल स्थापित करूं जिससे गाँव के लोगों को रोगों से बचने और रोग से मुक्त होने की सुविधा मिल सके। मैं रोगियोंसे पैसे लूटने की जगह उनसे केवल उतने ही पैसे लूँगा जिससे अस्पताल सुचारू रूप से चल सके।

जो लोग गरीब और अभावग्रस्त होंगे उनका इलाज मैं मुफ्त में करूंगा। मैं भी एक गाँव का रहने वाला हूँ। मैंने कई बार गाँव के लोगों को दवा और इलाज के अभाव की वजह से मरते हुए देखा है और देख रहा हूँ। मैं डॉक्टर बनकर उन लोगों की सेवा करना चाहता हूँ जो न ही तो बड़े डॉक्टर को मोटी फीस दे सकते हैं और न ही मरीज को बड़े नगरों में ले जा सकते हैं।

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