An essay on the festival Eid in hindi 250 words
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hey here is your answer .
विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ पर अनेक धर्मो के लोग एक साथ निवास करते हैं । जिस प्रकार हिन्दुओं के प्रसिद्ध त्योहार दीवाली, होली, जन्माष्टमी हैं, उसी प्रकार मुसलमानों के दो प्रसिद्ध त्योहार हैं जिनमें से एक को ईद अथवा ईदुल फितर कहा जाता है तथा दूसरे को ईदुज्जुहा अथवा बकरईद कहा जाता है ।
यह त्योहार प्रेमभाव तथा भाईचारा बढ़ाने वाले हैं । मुसलमान इन त्योहारों को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं । ईदुल फितर का त्योहार एक मास के रोजे रखने के पश्चात आता है । ईद की प्रतीक्षा हर व्यक्ति को रहती है । ईद का चाँद सब के लिए विनम्रता तथा भाईचारे का संदेश लेकर आता है ।
चाँद रात की खुशी का ठिकाना ही नहीं, रात भर लोग बाजारों में कपड़े तथा जूते इत्यादि खरीदते हैं । वैसे तो ईद की तैयारियाँ लगभग एक मास पूर्व ही प्रारम्भ हो जाती है । लोग नये-नये कपड़े सिलवाते हैं, मकानों को सजाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे ईद का चाँद देखने के दिन निकट आते हैं, मुसलमान अत्यन्त उत्साहित होकर रोजे रखते हैं तथा पाँच समय की नमाज के साथ ही ‘तरावीह’ भी पढ़ा करते हैं, यह सारी इबादतें सामूहिक रूप से की जाती हैं ।
रमजान की समाप्ति ईद के त्यौहार की खुशी लेकर आती है । इस दिन लोग सुबह को फजिर की सामूहिक नमाज अदा करके नये कपड़े पहनते हैं । नये कपडों पर ‘इतर’ भी लगाया जाता है तथा सिर पर टोपी ओढ़ी जाती है, तत्पश्चात लोग अपने-अपने घरों से ‘नमाजे दोगाना’ पढ़ने ईदगाह अथवा जामा मस्जिद जाते हैं ।
नमाज पढ़ने के पश्चात् सब एक दूसरे से गले मिलते हैं और ईद की बधाइयाँ देते हैं । इस दिन दुकानों तथा बाजार दुल्हन की तरह सजे होते हैं । प्रत्येक मुसलमान अपनी आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार मिठाइयाँ बच्चों के लिए खिलौने खरीदता है । लोग मित्र और सम्बधियों में मिठाइयाँ बटवाते हैं ।
ईद के दिन की सबसे खास चीजें सिवय्या और शीर होती हैं । लोग जब ईद की शुभकामनाएँ देने एक दूसरे के घर जाते हैं तो ‘शीर’ अथवा ‘सिवय्या’ खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया जाता है । ‘ईदुल फितर’ के लगभग दो मास पश्चात् ‘ईदुज़्जुहा’ का त्योहार आता है। इस त्योहार के दिन भी पूर्व की भाँति सुबह को ‘नमाजे दोगाना’ पड़ी जाती है फिर घर आकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार बकरे की कुर्बानी देना पैगम्बर इब्राहीम साहब की सुन्नत है ।
इस त्योहार के मौके पर भी शीर तथा मिठाइयों से मुसलमान भाई एक दूसरे का स्वागत तथा तवाजो करते हैं । और उल्लास से एक दूसरे की सफलता की दुआ खुदा से करते है । ईद का त्योहार हमें यही शिक्षा देता है कि हमें मुहम्मद साहब के दिखाए गए रास्ते पर ही चलना चाहिए और उन्की शिक्षाओं का पालन करते हुए किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए ।
विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ पर अनेक धर्मो के लोग एक साथ निवास करते हैं । जिस प्रकार हिन्दुओं के प्रसिद्ध त्योहार दीवाली, होली, जन्माष्टमी हैं, उसी प्रकार मुसलमानों के दो प्रसिद्ध त्योहार हैं जिनमें से एक को ईद अथवा ईदुल फितर कहा जाता है तथा दूसरे को ईदुज्जुहा अथवा बकरईद कहा जाता है ।
यह त्योहार प्रेमभाव तथा भाईचारा बढ़ाने वाले हैं । मुसलमान इन त्योहारों को पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं । ईदुल फितर का त्योहार एक मास के रोजे रखने के पश्चात आता है । ईद की प्रतीक्षा हर व्यक्ति को रहती है । ईद का चाँद सब के लिए विनम्रता तथा भाईचारे का संदेश लेकर आता है ।
चाँद रात की खुशी का ठिकाना ही नहीं, रात भर लोग बाजारों में कपड़े तथा जूते इत्यादि खरीदते हैं । वैसे तो ईद की तैयारियाँ लगभग एक मास पूर्व ही प्रारम्भ हो जाती है । लोग नये-नये कपड़े सिलवाते हैं, मकानों को सजाते हैं, लेकिन जैसे-जैसे ईद का चाँद देखने के दिन निकट आते हैं, मुसलमान अत्यन्त उत्साहित होकर रोजे रखते हैं तथा पाँच समय की नमाज के साथ ही ‘तरावीह’ भी पढ़ा करते हैं, यह सारी इबादतें सामूहिक रूप से की जाती हैं ।
रमजान की समाप्ति ईद के त्यौहार की खुशी लेकर आती है । इस दिन लोग सुबह को फजिर की सामूहिक नमाज अदा करके नये कपड़े पहनते हैं । नये कपडों पर ‘इतर’ भी लगाया जाता है तथा सिर पर टोपी ओढ़ी जाती है, तत्पश्चात लोग अपने-अपने घरों से ‘नमाजे दोगाना’ पढ़ने ईदगाह अथवा जामा मस्जिद जाते हैं ।
नमाज पढ़ने के पश्चात् सब एक दूसरे से गले मिलते हैं और ईद की बधाइयाँ देते हैं । इस दिन दुकानों तथा बाजार दुल्हन की तरह सजे होते हैं । प्रत्येक मुसलमान अपनी आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार मिठाइयाँ बच्चों के लिए खिलौने खरीदता है । लोग मित्र और सम्बधियों में मिठाइयाँ बटवाते हैं ।
ईद के दिन की सबसे खास चीजें सिवय्या और शीर होती हैं । लोग जब ईद की शुभकामनाएँ देने एक दूसरे के घर जाते हैं तो ‘शीर’ अथवा ‘सिवय्या’ खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया जाता है । ‘ईदुल फितर’ के लगभग दो मास पश्चात् ‘ईदुज़्जुहा’ का त्योहार आता है। इस त्योहार के दिन भी पूर्व की भाँति सुबह को ‘नमाजे दोगाना’ पड़ी जाती है फिर घर आकर अपनी सामर्थ्य के अनुसार बकरे की कुर्बानी देना पैगम्बर इब्राहीम साहब की सुन्नत है ।
इस त्योहार के मौके पर भी शीर तथा मिठाइयों से मुसलमान भाई एक दूसरे का स्वागत तथा तवाजो करते हैं । और उल्लास से एक दूसरे की सफलता की दुआ खुदा से करते है । ईद का त्योहार हमें यही शिक्षा देता है कि हमें मुहम्मद साहब के दिखाए गए रास्ते पर ही चलना चाहिए और उन्की शिक्षाओं का पालन करते हुए किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए ।
ashraf2152007:
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⭐⭐Hi mate your answer is.......... ⭐⭐⭐
ईद-उल-फितर’ अथवा ‘ईद’ का त्योहार मुस्लिम समुदाय का मुख्य त्योहार है । विश्व के सभी कोनों में फैले मुस्लिम लोग इसे बड़ी ही श्रद्धा एवं उल्लासपूर्वक मनाते हैं ।
वास्तव में ईद का त्योहार समाज में खुशियाँ फैलाने, पड़ोसियों के सुख-दु:ख में भागीदार बनने तथा जन-जन के बीच सौहार्द फैलाने में महत्चपूर्ण भूमिका अदा करता है । हमारे देश में जब ईद का त्योहार आता है, मुसलमानों के अतिरिक्त अन्य सभी समुदायों के व्यक्ति खुशी से झूम उठते हैं ।
मुस्लिमों के लिए रमजान का महीना विशेष धार्मिक महत्व रखता है । यह उनके दृष्टिकोण में उनके लिए आत्मशुदधि का महीना होता है । सभी मुस्लिम जन इस महीने में पूरे दिन का उपवास रखते हैं । इसका वे इतनी कठोरता से पालन करते हैं कि वे दिन भर जल की एक बूँद भी ग्रहण नहीं करते हैं ।
भी लोग दिन के पाँच बजे निश्चित समय पर खुदा को ‘नमाज’ अदा करते हैं तथा अपने व सभी परिजनों की आत्मशुद्धि के लिए दुआ करते हैं । रमजान के पूरे महीने सभी मुस्लिम सूर्यास्त के पश्चात् ही भोजन व जल ग्रहण करते हैं ।
परंतु इस्लाम में कुछ असहाय, बीमार तथा लाचार व्यक्तियों को व्रत से छूट दी गई है लेकिन सभी सक्षम व्यक्तियों के लिए रमजान के महीने में व्रत रखना अनिवार्य है । रमजान महीने के अंतिम दिन सभी मुस्लिम चाँद को देखने की उत्सुकता रखते हैं क्योंकि चाँद के दिखाई देने के पश्चात् ही दूसरे दिन ‘ईद’ मनाई जाती है ।
सभी मुसलमान इस त्योहार को बड़ी धूम-धाम से विशेष तैयारी के साथ मनाते हैं । ईद के त्योहार में संपूर्ण वातावरण एकरस हो जाता है । अमीर-गरीब, जवान या बूढ़ा सभी जनों में बराबर उत्साह देखा-जा सकता है । सभी अपनी शक्ति व सामर्थ्य एवं रुचि के अनुसार नए वस्त्र, नए आभूषण, जूते, चप्पल व अन्य भौतिक सुख की सामग्री की खरीद करते हैं ।
चारों ओर फलों व मिठाइयों की दुकानों में लंबी भीड़ देखी जा सकती है । वातावरण में एक नई रौनक आ जाती है । ईद के दृश्य का सजीव चित्रण महान् उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने अपनी प्रसिद्ध कहानी ‘ईदगाह’ में किया है ।
I hope it will help you......
✌✌✌✌✌✌✌✌✌✌✌✌✌✌
ईद-उल-फितर’ अथवा ‘ईद’ का त्योहार मुस्लिम समुदाय का मुख्य त्योहार है । विश्व के सभी कोनों में फैले मुस्लिम लोग इसे बड़ी ही श्रद्धा एवं उल्लासपूर्वक मनाते हैं ।
वास्तव में ईद का त्योहार समाज में खुशियाँ फैलाने, पड़ोसियों के सुख-दु:ख में भागीदार बनने तथा जन-जन के बीच सौहार्द फैलाने में महत्चपूर्ण भूमिका अदा करता है । हमारे देश में जब ईद का त्योहार आता है, मुसलमानों के अतिरिक्त अन्य सभी समुदायों के व्यक्ति खुशी से झूम उठते हैं ।
मुस्लिमों के लिए रमजान का महीना विशेष धार्मिक महत्व रखता है । यह उनके दृष्टिकोण में उनके लिए आत्मशुदधि का महीना होता है । सभी मुस्लिम जन इस महीने में पूरे दिन का उपवास रखते हैं । इसका वे इतनी कठोरता से पालन करते हैं कि वे दिन भर जल की एक बूँद भी ग्रहण नहीं करते हैं ।
भी लोग दिन के पाँच बजे निश्चित समय पर खुदा को ‘नमाज’ अदा करते हैं तथा अपने व सभी परिजनों की आत्मशुद्धि के लिए दुआ करते हैं । रमजान के पूरे महीने सभी मुस्लिम सूर्यास्त के पश्चात् ही भोजन व जल ग्रहण करते हैं ।
परंतु इस्लाम में कुछ असहाय, बीमार तथा लाचार व्यक्तियों को व्रत से छूट दी गई है लेकिन सभी सक्षम व्यक्तियों के लिए रमजान के महीने में व्रत रखना अनिवार्य है । रमजान महीने के अंतिम दिन सभी मुस्लिम चाँद को देखने की उत्सुकता रखते हैं क्योंकि चाँद के दिखाई देने के पश्चात् ही दूसरे दिन ‘ईद’ मनाई जाती है ।
सभी मुसलमान इस त्योहार को बड़ी धूम-धाम से विशेष तैयारी के साथ मनाते हैं । ईद के त्योहार में संपूर्ण वातावरण एकरस हो जाता है । अमीर-गरीब, जवान या बूढ़ा सभी जनों में बराबर उत्साह देखा-जा सकता है । सभी अपनी शक्ति व सामर्थ्य एवं रुचि के अनुसार नए वस्त्र, नए आभूषण, जूते, चप्पल व अन्य भौतिक सुख की सामग्री की खरीद करते हैं ।
चारों ओर फलों व मिठाइयों की दुकानों में लंबी भीड़ देखी जा सकती है । वातावरण में एक नई रौनक आ जाती है । ईद के दृश्य का सजीव चित्रण महान् उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने अपनी प्रसिद्ध कहानी ‘ईदगाह’ में किया है ।
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