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Que 21 पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट के बीच अंतर बताएं।
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पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी भाग पर गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्त हो जाती है। वहीं पूर्वी घाट प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी भाग पर ओडिशा से तमिलनाडु तक फैला हुआ है।
पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी भाग पर गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्त हो जाती है। वहीं पूर्वी घाट प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी भाग पर ओडिशा से तमिलनाडु तक फैला हुआ है।हिन्द महासागर से उठने वाली दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाएँ दो शाखाओं में विभक्त होती हैं, एक शाखा अरब सागर से होती हुई प्रायद्वीपीय भारत की ओर आगे बढ़ती है, तो दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़ती है।
पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी भाग पर गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्त हो जाती है। वहीं पूर्वी घाट प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी भाग पर ओडिशा से तमिलनाडु तक फैला हुआ है।हिन्द महासागर से उठने वाली दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाएँ दो शाखाओं में विभक्त होती हैं, एक शाखा अरब सागर से होती हुई प्रायद्वीपीय भारत की ओर आगे बढ़ती है, तो दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़ती है।अरब सागर की शाखा प्रायद्वीप के पश्चिमी भाग पर स्थित पश्चिमी घाट से टकराकर ऊपर उठती है तथा पर्वतीय वर्षा करती है। जब ये पवनें पश्चिमी घाट को पार करके दूसरी तरफ नीचे उतरती हैं तो ये गर्म हो जाती हैं, जिससे इनकी आर्द्रता खत्म हो जाती है तथा पश्चिमी घाट के पूर्वी भाग में वर्षा नहीं करती हैं। यह एक वृष्टिछाया प्रदेश है जो कि पूर्वीघाट से संबंधित है।
पश्चिमी घाट प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी भाग पर गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल से होते हुए कन्याकुमारी में समाप्त हो जाती है। वहीं पूर्वी घाट प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी भाग पर ओडिशा से तमिलनाडु तक फैला हुआ है।हिन्द महासागर से उठने वाली दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाएँ दो शाखाओं में विभक्त होती हैं, एक शाखा अरब सागर से होती हुई प्रायद्वीपीय भारत की ओर आगे बढ़ती है, तो दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी से आगे बढ़ती है।अरब सागर की शाखा प्रायद्वीप के पश्चिमी भाग पर स्थित पश्चिमी घाट से टकराकर ऊपर उठती है तथा पर्वतीय वर्षा करती है। जब ये पवनें पश्चिमी घाट को पार करके दूसरी तरफ नीचे उतरती हैं तो ये गर्म हो जाती हैं, जिससे इनकी आर्द्रता खत्म हो जाती है तथा पश्चिमी घाट के पूर्वी भाग में वर्षा नहीं करती हैं। यह एक वृष्टिछाया प्रदेश है जो कि पूर्वीघाट से संबंधित है।इस प्रकार अरब सागर शाखा से पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल पर कई स्थानों पर औसत वार्षिक वर्षा 300 सेमी. से भी अधिक होती है, जबकि इसका पूर्वी ढाल वृष्टिछाया प्रदेश के अंतर्गत आ जाने से बहुत कम वर्षा प्राप्त कर पाता है। पश्चिमी घाट एक सतत् पर्वत शृंखला है जिसमें हवाएँ आसानी से प्रायद्वीप भारत के आंतरिक भागों में आसानी से नहीं पहुँच पाती हैं इसलिए इन क्षेत्रों में कम वर्षा होती है।