अनुभवजन्य का समास विग्रह और समास का नाम?
Answers
प्रश्न :-
अनुभवजन्य का समास विग्रह और समास का नाम ?
उत्तर :-
★ शब्द - अनुभवजन्य
★ समास विग्रह - अनुभव से जन्य
★ समास का नाम - कर्मतत्पुरुष समास
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━
• महत्वपूर्ण जानकारी :-
↠ "समास" का शाब्दिक अर्थ है -"सम + आस " = पास रखना । समास वह प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक पद मिलकर नया पद बनाते हैं। नया पद बनने पर उनके बीच में आने वाले संबंध सूचक शब्दों का लोप हो जाता है।
↠समाज के 6 भेद होते हैं :-
- तत्पुरुष समास
- द्विगु समास
- कर्मधारय समास
- बहुव्रीहि समास
- द्वंद समास
- अव्ययीभाव समास
↠तत्पुरुष समास में दूसरा पद प्रधान होता है ,पहला पद दूसरे पद का विशेषण होने के कारण गौण रहता है रहता है। उदाहरण:- "परलोक गमन = परलोक को गमन" तत्पुरुष समास के निम्नलिखित 7 भेद हैं :-
- कर्म तत्पुरुष
- करण तत्पुरुष
- संप्रदान तत्पुरुष
- अपादान तत्पुरुष
- संबंध तत्पुरुष
- अधिकरण तत्पुरुष
- न तत्पुरुष
↠कर्मधारय समास में विशेषण की तरह संज्ञा की विशेषता बताई जाती है। इस समास का प्रयोग वहां होता है जहां पूर्व पद विशेषण और उत्तर पद विशेष्य होता है। उदाहरण:-" महात्मा = महान है जो आत्मा"।
↠द्विगु समास में पहला शब्द संख्यावाचक विशेषण और दूसरा पद संज्ञा होता हैं यह समाज समूह का बोध कराता है। उदाहरण:- "त्रिलोक = तीन लोकों का समूह"।
↠बहुव्रीहि समास में पहला या दूसरा पद प्रधान ना होकर कोई अन्य पद प्रधान होता है। यह दोनों पद अन्य पद की विशेषता प्रकट करते हैं। उदाहरण:- "चंद्रशेखर = चंद्र है जिसके सर पर अर्थात शिव"
↠द्वंद समास में दोनों संज्ञा पद प्रधान होते हैं। इन पदों में, और, वह, तथा ,या, अथवा आदि का लोप होता है। उदाहरण:-"नर - नारी = नर और नारी"।
↠अव्ययीभाव समास में पूर्व प्रधान होता है। यह समस्त पद अव्यय का काम करता है। उदाहरण:- "भरपेट = पेट भरकर"
Answer:
hii
Explanation:
प्रश्न :-
अनुभवजन्य का समास विग्रह और समास का नाम ?
उत्तर :-
★ शब्द - अनुभवजन्य
★ समास विग्रह - अनुभव से जन्य
★ समास का नाम - कर्मतत्पुरुष समास
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• महत्वपूर्ण जानकारी :-
↠ "समास" का शाब्दिक अर्थ है -"सम + आस " = पास रखना । समास वह प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक पद मिलकर नया पद बनाते हैं। नया पद बनने पर उनके बीच में आने वाले संबंध सूचक शब्दों का लोप हो जाता है।
↠समाज के 6 भेद होते हैं :-
तत्पुरुष समास
द्विगु समास
कर्मधारय समास
बहुव्रीहि समास
द्वंद समास
अव्ययीभाव समास
↠तत्पुरुष समास में दूसरा पद प्रधान होता है ,पहला पद दूसरे पद का विशेषण होने के कारण गौण रहता है रहता है। उदाहरण:- "परलोक गमन = परलोक को गमन" तत्पुरुष समास के निम्नलिखित 7 भेद हैं :-
कर्म तत्पुरुष
करण तत्पुरुष
संप्रदान तत्पुरुष
अपादान तत्पुरुष
संबंध तत्पुरुष
अधिकरण तत्पुरुष
न तत्पुरुष
↠कर्मधारय समास में विशेषण की तरह संज्ञा की विशेषता बताई जाती है। इस समास का प्रयोग वहां होता है जहां पूर्व पद विशेषण और उत्तर पद विशेष्य होता है। उदाहरण:-" महात्मा = महान है जो आत्मा"।
↠द्विगु समास में पहला शब्द संख्यावाचक विशेषण और दूसरा पद संज्ञा होता हैं यह समाज समूह का बोध कराता है। उदाहरण:- "त्रिलोक = तीन लोकों का समूह"।
↠बहुव्रीहि समास में पहला या दूसरा पद प्रधान ना होकर कोई अन्य पद प्रधान होता है। यह दोनों पद अन्य पद की विशेषता प्रकट करते हैं। उदाहरण:- "चंद्रशेखर = चंद्र है जिसके सर पर अर्थात शिव"
↠द्वंद समास में दोनों संज्ञा पद प्रधान होते हैं। इन पदों में, और, वह, तथा ,या, अथवा आदि का लोप होता है। उदाहरण:-"नर - नारी = नर और नारी"।
↠अव्ययीभाव समास में पूर्व प्रधान होता है। यह समस्त पद अव्यय का काम करता है। उदाहरण:- "भरपेट = पेट भरकर"