Hindi, asked by sazeljain10, 2 months ago

अनुच्छेद- बीता अवसर फिर हाथ नहीं आता

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Answered by firdous41
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Explanation:

सप्रभात, आदरणीय अध्यापक एवं मेरे प्रिय माधवा x सदन की ओर से आप सबके समक्ष विषय करने जा रही हूँ जिसका शीर्षक है

बीता अवसर हाथ नहीं आता

कबीर दास जी ने सच ही कहा है

एकल करे सो आज, आज करे सो अब, पल में परलय होयगी, बहुरि करेगा कब

संसार में अगर सबसे कीमती और मूल्यवान कोई वस्तु है तो वह है समय बीता हुआ अवसर कभी वापस नहीं आता। इस संदर्भ में कछुए और खरगोश की कहानी को भला कौन नहीं जानता? यदि खरगोश भागते हुए आराम न करता तो वह दौड़ जीत जाता। इस संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं, उन सबने समय के मूल्य को जान लिया था। सफल व्यक्ति ही सभी प्रकार के सुख- आनंद का अधिकारी होता है और अपनी मृत्यु के बाद भी दुनिया में अमर रहता है। यदि आज हम एक-एक क्षण का उपयोग उपयोग अनावश्यक बातों में न लगाकर जरूरी और उपयोगी कार्यों में वो हमारा जीवन और दुनिया दोनों ही सदा सुखी रहेंगे। किसी ने सत्य ही कहा है 'समय सोने से भी मूल्यवान है। जिस प्रकार समय किसी का मित्र नहीं है वह किसी के मनाने से नहीं मानता, उसी प्रकार अवसर का कोई गुरू नहीं है जिसका वह आदेश माने, उसका कोई मालिक नहीं है जिसके वह दबाव में रहे। उसे रुपयों की रिश्वत और कमीशन देकर जल्दी बुलाया नहीं जा सकता। यदि भाग्य को वश में करना है तो उसके बराबर रफ़्तार बनाकर चलना पड़ेगा । समय मनुष्य को सफलता के लिए कोई न कोई अवसर अवश्य देता है परंतु मनुष्य अज्ञानतावश उस अवसर को पहचानकर उसका सदुपयोग नहीं कर पाता । जब सफलता का वह अवसर बीत जाता है, तब मनुष्य को उसके जाने का महत्व पता चलता है और वह हाथ मलता रह जाता है अतः अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण कार्यों को समय रहते ही एस पूरा कर लेना चाहिए क्योंकि बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता।

Answered by jyotiyadav42704
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Answer:

बीते हुए समय की ही भाँति, बीता अवसर भी कभी फिर हाथ नहीं आता। जो भी अवसर हमारे सामने उपस्थित हो, हमें उसका अधिक-से-अधिक लाभ उठाना चाहिए। संसार में कभी-न-कभी सभी के पास भाग्योदय का अवसर आता है परंतु यदि मनुष्य उसका लाभ उठाने में चूक जाए, उसका स्वागत न करे तो वह अवसर फिर कभी हाथ नहीं आता। किसी ने सच कहा है-"इसकी कल्पना भी मत करो कि अवसर तुम्हारे द्वार पर दुबारा पुकारेगा।" उपस्थित अवसर का स्वागत करने में ही बदधिमत्ता है अन्यथा जीवन भर पछताना पड़ता है। केवल भाग्य के भरोसे बैठे रहना तो कर्महीनता का सूचक है। अवसर का सही उपयोग करने पर ही उन्नति और विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।

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