Hindi, asked by fahaid, 9 months ago

अनुच्छेदः-बढ़ते उद्योग सिकुड़ते वन​

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Answered by gagangagan123456
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आबादी में आज हमें मनुष्य समेत जितने भी पालतू जीव दिखाई देते हैं, वे कभी जंगली जीव रहे होंगे। इसी तरह गेहूं और दाल-चावल समेत जितने भी अनाज या सब्जियों का सेवन हम करते हैं वे भी कभी न कभी जंगली वनस्पतियों की बिरादरी में ही रही होंगी। इसका साफ मतलब है कि आज चांद-तारों पर पहुंचने वाला इंसान और उसकी सभ्यता का मूल वन ही हैं। हमारे ही देश में 1.73 लाख गांव ऐसे हैं जो कि वनों के अंदर या उनके आसपास रहते हैं और इन गावों में रहने वाली आबादी प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से वनों पर निर्भर है। आदिवासी जीवन की कल्पना तो विना वनों के की ही नहीं जा सकती। जीवन का आधार माने जाने वाले जगलों का आज जिस तरह विनाश हो रहा है, उसे रोका नहीं गया तो मानव विनाश अवश्वंभावी है। जंगल केवल पेड़ों का झुरमुट नहीं बल्कि उसके अंदर एक भरा पूरा वन्यजीव संसार होता है। जिसे मनुष्य बेरहमी से उजाड़ने पर तुला हुआ है। लेकिन सरकारी प्रचार तंत्र इस भयावह स्थिति की सही तस्वीर पेश करने के बजाय अपने मालिकों को खुश करने के लिए केवल अच्छी-अच्छी तस्वीरें ही पेश करता है।

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार 1901 से लेकर 1950 तक भारत में 14 मिलियन हेक्टेअर यानी कि एक करोड़ चालीस लाख हेक्टेअर भूमि पर से वनों का नामोनिशन मिट गया था। उसके बाद 1950 से लेकर 1980 तक वन क्षेत्र में 75.8 मिलियन हेक्टेअर की गिरावट आई। उसके बाद चिपको आंदोलन में चंडी प्रसाद भट्ट जैसे पर्यावरणवादियों के प्रयासों से सरकार और आम जनता का ध्यान वृक्षों की सुरक्षा की ओर जाने से वनों के विनाश की गति में काफी कमी दर्ज की गई।

केंद्र और प्रदेशों की सरकारों के सभी विभाग अपनी छवि बनाने के लिए हमेशा ही अपने काम की अच्छी-अच्छी तस्वीरें पेश करते हैं। वन विभाग भी केवल शुक्ल पक्ष पेश करने में पीछे क्यों रहे? भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग की दो साल में जारी होने वाली वन स्थिति रिपोर्टों में भी वन क्षेत्र में विस्तार ही दिखाया जाता है। नवीनतम वनस्थिति रिपोर्ट में 2013 के सर्वेक्षण के मुकाबले 5081 वर्ग किलोमीटर वनावरण की वृद्धि दिखाई गई। इस रिपोर्ट में देश का वनावरण 21.34 प्रतिशत दिखाया गया है। भारतीय वन सर्वेक्षण विभाग की 1999 के बाद की तमाम रिपोर्टों पर गौर करें तो उनमें वनावरण में निरंतर वृद्धि नजर आती है। 1999 की वन स्थिति रिपोर्ट में जहां वनावरण 19.39 प्रतिशत दिखाया गया था वहीं 2015 की रिपोर्ट में वनावरण बढ़ कर 21.34 प्रतिशत हो गया। जिसमें 2.61 प्रतिशत घनघोर वन और 9.59 घने वनों के साथ ही 9.14 प्रतिशत खुले वन बताए गए हैं।

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