Hindi, asked by mansi16852, 6 months ago

अनुच्छेद - हिंदी है तो मेल मिलाप

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Answered by sargunpreet123
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Answered by Anonymous
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Explanation:

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अपने पापों को स्वीकार करने में शर्म मत करो।' क्योंकि पाप हमें ईश्वर से अलग कर देता है... यह मेल-मिलाप का संस्कार है। (प्रायश्चित-पाप स्वीकार) जो हमें वापस लाता है और ईश्वर से पुनः मिलाता है।

' वह जो अपने अपराधों को छिपाता है- वैभव प्राप्त नहीं करेगा, परन्तु जो पाप स्वीकार करता है और उनका परित्याग करता है, उसे दयालुता प्राप्त होगी।' (सूक्ति)

जब ख्रीस्त ने अपनी कलीसिया की स्थापना की, तब उसने पाप क्षमा करने की शक्ति अपने प्रेरितों और उनके उत्तराधिकारियों को प्रदान की।

लोग उनके पाप स्वीकार करते हैं और वास्तव में प्रेरित पवित्र त्रित्व के नाम पर उनके पाप क्षमा कर देता है, जब वह कहता है- 'मैं तुम्हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम पर क्षमा करता हूँ। आमेन'।

जो कोई भी धर्मग्रंथ पढ़ता है, वह जानता है कि ख्रीस्त ने पापों को क्षमा किया था। वह ऐसा कर सका, क्योंकि वह पवित्र त्रित्व का दूसरा जन है, सच्चा ईश्वर, सच्चा मनुष्य।

उसने मरिया मग्दलेना के पाप क्षमा किए, उसने लकवे से पीड़ित व्यक्ति के पाप क्षमा कर दिए जब उसने चंगा होने के लिए पूछा, 'लेकिन जिससे आप जान लें कि मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है, वे अर्द्धांगी से बोले, 'मैं तुमसे कहता हूँ, उठो अपना बिछावन उठा लो और अपने घर चले आओ। उसी क्षण, उसके सामने ही वह उठा और जिस पर वह पड़ा था, उसको उठाकर ईश्वर का गुणगान करता हुआ, अपने घर चला गया।

ख्रीस्त ने क्रूस पर भले डाकू को क्षमा कर दिया, उसने संत पेत्रुस के पापों को क्षमा कर दिया।

उसके शत्रु अचंभित हो गए कि वह पाप क्षमा करता है... परन्तु वह पाप क्षमा के लिए पैदा हुआ था और पाप क्षमा के लिए ही मरा।

' उसी दिन अर्थात्‌ सप्ताह के प्रथम दिन (उसके पुनरुत्थान के दिन) संध्या के समय शिष्यगण यहूदियों के डर से द्वार बंद करके जमा हुए थे। वहीं येसु आए और उनके बीच खड़े होकर उनसे कहा, 'तुम्हें शांति मिले।' इतना कहकर येसु ने उनको अपने हाथ और अपनी बगल दिखला दी। शिष्य येसु को देख आनंद विभोर हो गए। येसु ने उनसे फिर कहा, 'तुम्हें शांति मिले, जैसे पिता ने मुझे भेजा है, वैसे ही मैं तुमको भेजता हूँ।' इतना कहकर येसु ने उन पर फूँक कर उनसे कहा, 'पवित्रात्मा को ग्रहण करो, जिनके पाप तुम क्षमा कर दोगे, उनके क्षमा हो जाएँगे, जिनके रोके रखोगे, उनके रुके रहेंगे।

ख्रीस्त चाहता था कि यह शक्ति दूसरों को भी बाँट दी जाए, इसलिए उसने कलीसिया की स्थापना की और दुनिया के अंत तक के लिए लोगों को संस्कार प्रदान किए।

' इसलिए जाओ, जब जातियों को शिष्य बनाओ, उनको पिता और पुत्र और पवित्रात्मा के नाम में बपतिस्मा दो और जो-जो आज्ञाएँ तुम्हें दी हैं, उन सबका पालन करना उन्हें सिखलाओ। और सुनो, संसार के अंत तक मैं सब दिन तुम्हारे साथ हूँ।' (मत्ती

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