Hindi, asked by manav884, 11 months ago

अनुच्छेद किसे कहते हैं​

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Answered by dhathriavunoori
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Answer:

किसी एक भाव या विचार को व्यक्त करने के लिए लिखे गये सम्बद्ध और लघु वाक्य-समूह को अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।

दूसरे शब्दों में- किसी घटना, दृश्य अथवा विषय को संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित ढंग से जिस लेखन-शैली में प्रस्तुत किया जाता है, उसे अनुच्छेद-लेखन कहते हैं।

'अनुच्छेद' शब्द अंग्रेजी भाषा के 'Paragraph' शब्द का हिंदी पर्याय है। अनुच्छेद 'निबंध' का संक्षिप्त रूप होता है। इसमें किसी विषय के किसी एक पक्ष पर 80 से 100 शब्दों में अपने विचार व्यक्त किए जाते हैं।

अनुच्छेद में हर वाक्य मूल विषय से जुड़ा रहता है। अनावश्यक विस्तार के लिए उसमें कोई स्थान नहीं होता। अनुच्छेद में घटना अथवा विषय से सम्बद्ध वर्णन संतुलित तथा अपने आप में पूर्ण होना चाहिए। अनुच्छेद की

भाषा-शैली सजीव एवं प्रभावशाली होनी चाहिए। शब्दों के सही चयन के साथ लोकोक्तियों एवं मुहावरों के समुचित प्रयोग से ही भाषा-शैली में उपर्युक्त गुण आ सकते हैं।

इसका मुख्य कार्य किसी एक विचार को इस तरह लिखना होता है, जिसके सभी वाक्य एक-दूसरे से बंधे होते हैं। एक भी वाक्य अनावश्यक और बेकार नहीं होना चाहिए।

Answered by udaythakur49
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Answer:

किसी भी शब्द, वाक्य, सूत्र से सम्बद्ध विचार एवं भावों को अपने अर्जित ज्ञान, निजी अनुभूति से संजोकर प्रवाहमयी शैली के माध्यम से गद्यभाषा में अभिव्यक्त करना अनुच्छेद कहलाता है।अच्छे अनुच्छेद की विशेषताएँ संपादित करें

(१) पूर्णता - स्वतंत्र अनुच्छेद की रचना के समय ध्यान रहे कि उसमें संबंधित विषय के सभी पक्षों का समावेश हो जाए। विषय सीमित आयामों वाला होना चाहिए, जिसके सभी पक्षों को अनुच्छेद के सीमित आकार में संयोजित किया जा सके।

(२) क्रमबद्धता - अनुच्छेद-लेखन में विचारों को क्रमबद्ध एवं तर्कसंगत विधि से प्रकट करना चाहिए। अनुच्छेद के लिए आवश्यक है कि वह सुगठित हो तथा उसमें विचारों और तर्कों का ऐसा सुविचारित पूर्वापर क्रम हो कि वाक्य एक दूसरे से जुड़ते चले जाएँ और विषय को विकसित कर सकें।

(३) विषय-केन्द्रिता - अनुच्छेद के प्रारंभ से अंत तक उसका एक सूत्र में बंधा होना परमावश्यक है। अनुच्छेद मूल विषय से इस प्रकार बंधा होना चाहिए कि पूरे अनुच्छेद को पढ़ने के बाद पाठक सारांश में उसके शीर्षक को नितांत संगत एवं उपयुक्त माने।

(४) सामासिकता - सीमित शब्दों में यथासंभव पूरी बात कहने का प्रयास रहता है। यह गागर में सागर भरने के समान है। अनुच्छेद में अनावश्यक बातें न करके केवल विषय से संबद्ध वर्णन-विवेचन किया जाना चाहिए।

(५) विषयानुकूल भाषा-शैली - अनुच्छेद की भाषा-शैली विषयानुकूल होनी चाहिए। प्रायः अनुच्छेद शाश्वत महत्त्व के विषयों पर लिखे जाते हैं। अतः उसकी भाषा भी विषय के अनुरूप गंभीर एवं परिमार्जित होनी चाहिए। अप्रचलित शब्द-प्रयोग से बचना चाहिए। भाषा यथासंभव सरल, सरस, सुबोध हो। आवश्यकतानुसार उसमें मुहावरे, लोकोक्ति, सूक्ति आदि का भी उपयोग किया जा सकता है। भाषा गत्यात्मक हो। वाक्यों के क्रम में तारतम्य हो। शैली भी एक कथन भंगिमा है। कभी लेखक विशेष को सामान्य रूप प्रदान करता है तो कभी सामान्य को विशेष रूप में प्रस्तुत करता है। इन्हीं को आगमन-निगमन शैली कहा जाता है।

(६) सीमित/संतुलित आकार - सामान्यतः अनुच्छेद 300 से 350 शब्दों के मध्य होना चाहिए। संतुलित वर्णन के लिए आकार-प्रकार भी संतुलित अपनाना चाहिए। विषयानुसार यह संख्या कुछ कम या अधिक भी हो सकती है। अनुच्छेद लेखन के समय पहले अनुच्छेद का एक प्रारूप तैयार कर लेना चाहिए। शब्द-संख्या, मुहावरे, लोकोक्तियों से संबंधी सभी बातों का ध्यान रखते हुए अनावश्यक बातों को हटा देना चाहिए। यह ध्यान रहे कि किसी भी स्थिति में अनुच्छेद लघु निबंध का आकार न ग्रहण करे।

(७) स्वतंत्र लेखन कला - प्रत्येक अनुच्छेद अपने आप में स्वतंत्र होता है। कुछ अर्थों में समानता रखते हुए भी वह निबंध और पल्लवन से भिन्न है। विषय के अनुरूप ही शैली का भी चयन हो जाता है।

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