अनुच्छेद िेखन1) श्रम का महत्व
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सब अशंक रहते अभाव से, सब इच्छित सुख पाते । भाग्य-लेखा होता न मनुज का, होता कर्मठ भुज ही ।” इस तरह, जीवन में श्रम का अत्यधिक महत्व है । परिश्रमी मनुष्य को धन और यश दोनों ही मिलते हैं तथा मरणोपरान्त भी वह अपने कर्मों के लिए आदरपूर्वक याद किया जाता है
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श्रम’ का अर्थ है- तन-मन से किसी कार्य को पूरा करने के लिए प्रयत्नशील होना ।
जिस व्यक्ति ने परिश्रम के बल पर आगे बढ़ने की चेष्टा की, वह निरंतर आगे बढ़ा । मानव-जीवन की उन्नति का मुख्य साधन परिश्रम है । जो मनुष्य जितना अधिक परिश्रम करता है, उसे जीवन में उतनी ही अधिक सफलता मिलती है ।
जीवन में श्रम का अत्यधिक महत्त्व है । परिश्रमी व्यक्ति कै लिए कोई कार्य कठिन नहीं । इसी परिश्रम के बल पर मनुष्य ने प्रकृति को चुनौती दी है- समुद्र लाँघ लिया, पहाड़ की दुर्गम चोटियों पर वह चढ़ गया, आकाश का कोई कोना आज उसकी पहुँच से बाहर नहीं ।
वस्तुत: परिश्रम का दूसरा नाम ही सफलता है । किसी ने ठीक ही कहा है:
”उद्योगिन पुरुष र्सिंहमुपैति लक्ष्मी:
दैवेन देयमिति का पुरुषा: वदन्ति ।”