अनुच्छेद लिखें बेरोजगारी और मानवयी मुल्य
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Answer: मानवयी मुल्य- अवधारणा
मूल्य शब्द से तात्पर्य किसी भौतिक वस्तु अथवा मानसिक अवस्था के उस गुण से है, जिसके द्वारा मनुष्य के किसी उद्देश्य अथवा लक्ष्य की पूर्ति होती है।
मूल्यों का व्यक्ति के आचरण, व्यक्तित्व तथा कार्यों पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है।
मूल्यों की विशेषताएँ
मूल्य के दो पहलू होते हैं। प्रथम विषय-वस्तु और दूसरा तीव्रता।
मूल्य कुछ अंश तक आंतरिक भाव होते हैं, जो व्यक्ति के व्यक्तित्त्व में प्रतिबिम्बित होते हैं।
क्षेत्र विशेष के संदर्भ में मूल्य के महत्त्व में अंतर पाया जाता है।
मूल्य अमूर्त होते हैं।
मूल्य सीखे जाते हैं।
मूल्यों के प्रकार
दृष्टिकोण के आधार पर
सकारात्मक मूल्य, जैसे- अहिंसा, शांति, धैर्य आदि।
नकारात्मक मूल्य, जैसे- हिंसा, अन्याय, कायरता आदि।
उद्देश्य के आधार पर
साध्य मूल्य- वे सभी वस्तुएँ या अवस्थाएँ, जो स्वयं में शुभ होती हैं।
साधन मूल्य- जो अपने आप में शुभ न होकर किसी अन्य वस्तु के साधन के रूप में शुभ होता है।
विषय क्षेत्र के आधार पर
सामाजिक मूल्य, जैसे- अधिकार, कर्त्तव्य, न्याय आदि।
मानव मूल्य , जैसे- नैतिक मूल्य, आध्यात्मिक मूल्य आदि।
नैतिक मूल्य, जैसे- न्याय, ईमानदारी आदि।
आध्यात्मिक मूल्य, जैसेे- शांति, प्रेम, अहिंसा आदि।
भौतिक मूल्य, जैसे- भोजन, मकान, वस्त्र आदि।
सौंदर्यात्मक मूल्य, प्रकृति, कला एवं मानवीय जीवन के साैंदर्य को कहते हैं।
मनोवैज्ञानिक मूल्य, जैसे- प्रेम, दया आदि।
कार्य क्षेत्र के आधार पर
राजनीतिक मूल्य, जैसे- ईमानदारी, सेवा भाव आदि।
न्यायिक मूल्य , जैसे- सत्यनिष्ठा, निष्पक्षता आदि।
व्यावसायिक मूल्य, जैसे- जवाबदेही, ज़िम्मेदारी, सत्यनिष्ठा आदि।
बेरोजगारी-________
भारत एक विकासशील देश है । इस समय इसके सम्मुख लगभग वे सभी समस्याएँ विद्यमान हैं जो प्राय: विकासशील देशों के सम्मुख होती हैं । उन समस्याओं में सर्वप्रमुख समस्या बेरोजगारी है । भारत में तीन प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है: पूर्ण बेरोजगारी, अर्द्ध बेरोजगारी तथा मौसमी बेरोजगारी ।
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बेरोजगारी किसी भी प्रकार की क्यों न हो, किसी भी देश के लिए इसका सीमा से अधिक बढ़ना बहुत ही भयानक और विस्फोटक होता है । ग्रामीण और शहरी इलाकों के आधार पर बेरोजगारी का विश्लेषण करने पर हम पाते हैं कि शहरों में अधिक संख्या शिक्षित बेरोजगारों की होती है । गाँवों में तथा गाँवों से शहरों में आए बेरोजगारों में अशिक्षित बेरोजगारों की संख्या ही अधिक होती है ।
देहातों में रहने वाले किसानों को अर्द्ध-बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है क्योंकि कृषि कार्य एक मौसमी उद्यम है । इसी कारण खेतिहर मजदूर वर्ष भर काम न मिलने के कारण अर्द्ध-बेरोजगार के रूप में समय गुजारते हैं । ग्रामीण इलाकों में आय का मुख्य साधन कृषि ही होता है । यद्यपि वहाँ हथकरघा या दस्तकारी से जुड़े कार्य भी किए जाते हैं, लेकिन उनमें रोजगार के अवसर सीमित होते हैं ।
शहरी इलाकों में व्यापार सरकारी तथा प्राइवेट नौकरियाँ, निजी व्यवसाय, विभिन्न प्रकार के अन्य काम-धंधे तथा दुकानदारी आदि रोजगार के प्रमुख साधन होते हैं परंतु इनमें भी धीरे-धीरे रोजगार के अवसर कम होते जा रहे हैं । आज प्रमुख और विचारणीय प्रश्न यह है कि देश में बेरोजगारी की समस्या इतनी भयंकर क्यों हो गई है ?
इसका मुख्य कारण यह है कि देश में जितनी तेजी से आर्थिक विकास होना चाहिए था वह नहीं हुआ है । दूसरा प्रमुख कारण देश की जनसंख्या का बहुत तेजी से बढ़ना है जिसके फलस्वरूप बेरोजगारी की संख्या में भी तेजी से इजाफा हो रहा है । देश को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए सही दिशा में प्रयास करने की जरूरत है ।
देश के नीति-निर्माताओं को नीतियाँ बनाते समय यह देखना चाहिए कि देश में बेरोजगारी की प्रकृति, स्वरूप और स्थिति कैसी है बेरोजगारों की संख्या कितनी है तथा उन सभी के लिए किस प्रकार रोजगार की समुचित व्यवस्था की जाए । नीति-निर्माताओं को यह भी देखना चाहिए कि नई बनी नीतियों से रोजगार के अवसर किस हद तक पैदा होंगे तथा लोगों को किस प्रकार की तथा कितनी शिक्षा या प्रशिक्षण की व्यवस्था करानी होगी ।
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Answer:aj kl ke yug m hamare desh m berozgari zada ho gyi h.hamare desh m mehnt krne wale vidvaan sabhi berozgari ka shikaar hue h
Explanation:baki niche image m full explanation h
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