अनुच्छेद लिखिए भारतीय अर्थव्यवस्था पर
Answers
Answer:
Explanation:
इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था को एक द्वैतवादी अर्थव्यवस्था स्वीकार किया जाता है जहां आधुनिक अर्थव्यवस्था के साथ-साथ प्राथमिक एवं परम्परागत अर्थव्यवस्था के लक्षण पाये जाते हैं ।
द्वैतवाद, अल्प विकसित अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण लक्षण है । अत: द्वैतवाद के अन्तर्गत, दो क्षेत्र अर्थात् आधुनिक अथवा उन्नत क्षेत्र और परम्परागत अथवा पिछड़ा हुआ क्षेत्र साथ-साथ कार्य करते हैं ।
मुख्यता द्वैतवाद दो प्रकार का हो सकता है अर्थात् प्रौद्योगिक द्वैतवाद और सामाजिक द्वैतवाद । बैन्जमिन हिग्गनक (Benjamin Higgins) ने अपनी पुस्तक “Economic Development” में प्रौद्योगिक द्वैतवाद के सम्बन्ध में लिखा है कि यह विकसित क्षेत्र एवं परम्परागत क्षेत्र में विभिन्न उत्पादन फलनों के प्रयोग की ओर संकेत करता है ।
इस द्वैतवाद के अन्तर्गत उन्नत क्षेत्र पूंजी गहन होता है तथा पिछड़ा हुआ क्षेत्र श्रम गहन । इसी प्रकार सामाजिक द्वैतवाद के सम्बन्ध में जे. एच. बोक (J.H. Bocke) ने अपनी पुस्तक ‘Economies and Economic Policy of Dual Society’ में दो भिन्न स्तरों की ओर संकेत किया है अर्थात् समाज में ऊपर का स्तर और नीचे का स्तर ।
बोके का सामाजिक द्वैतवाद देश में ही एक विदेशी सामाजिक प्रणाली का स्थानीय सामाजिक प्रणाली की उपस्थिति और संघर्ष दर्शाता है । भारत में सामाजिक द्वैतवाद और परिणामित संघर्ष नहीं है ।
परन्तु भारत के आर्थिक ढांचे में प्रौद्योगिक द्वैतवाद उपस्थित है । इस प्रकार, के द्वैतवाद में- ”उत्पादक रोजगार के अवसर सीमित हैं, यह प्रभावपूर्ण मांग के अभाव के कारण नहीं है, परन्तु दोनों क्षेत्रों में साधनों और प्रौद्योगिक बाधाओं के कारण है ।”