Hindi, asked by mayuradoshi1, 7 months ago

अनुच्छेद लिखिए |
"जिंदगी जिंदादिली का नाम है।"​

Answers

Answered by pkjainb1959
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Explanation:

विचार-बिंदु – • सूक्ति • जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दादिली क्या खाक जिया करते हैं • हिम्मत और उत्साह जीवन की निशानी • संघर्षशील जीवन उत्सव-सा • नया जोश, नई चुनौती • ग्लानि नहीं • आत्मसंतोष और हर्ष • किसी जिंदादिल व्यक्ति का उदाहरण।

जीवन का अर्थ – जोश, उत्साह, हिम्मत और जिंदादिली। कहते हैं – जिंदगी जिंदादिली का नाम है। मुर्दादिल क्या खाक जिया करते हैं। हलचल, हिम्मत, साहस जीवन की निशानी है। जो लोग हर क्षण उत्साह की तरंग में रहते हैं, उनकी जीवन जीने की शैली मनोरम होती है। जो जीवन के हर खतरे को चुनौती समझकर झेलते हैं, उनका जीवन उत्सव-जैसा बन जाता है। उन्हें हर क्षण नया काम मिला रहता है। वे अपने मन में स्फूर्ति और नवीनता का अनुभव करते हैं।

वे कभी मन में निराशा और ग्लानि अनुभव नहीं करते। बल्कि उन्हें खतरों से जूझते हुए भी एक हर्ष और संतोष प्राप्त होता है। सुभाषचंद्र बोस ने जिंदादिली से जीवन जिया, इसलिए उनके जीवन का क्षण-क्षण प्रेरणामय बन गया। इसके विपरीत कायर, आलसी और निकम्मे लोग हर रोज कई बार मरते हैं। उन्हें पग-पग पर अपमान सहना पड़ता है। यदि मनुष्य यह सोच ले कि उसे एक-न-एक दिन मरना ही है तो वह खुलकर जिएगा, हिम्मत से जिएगा। एक कवि ने कहा भी है – एक दिन भी जी, मगर तू ताज बनकर जी।

Answered by poojagarg1320
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Explanation:

लगता है परन्तु यह कड़वी सचाई है. कुछ युवकों का जीवन के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण होने के कारण उनके जीवन में न कोई उत्साह है, न कोई उमंग है. उनके चेहरे बुझे-बुझे लगते है. इसलिए वे जवानी में ही बूढ़े हैं. कुछ वृद्धों में ज़िंदगी की शाम में भी जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण के कारण चेहरों पर ताज़गी है और दिल में उमंगें हैं. वे ज़िंदगी की शाम ढलने से पहले कोई महान काम करके जीवन को सार्थक करना चाहते हैं. उनके चेहरों पर एक अनूठी चमक होती है. ऐसे वृद्धों के होंठों पर प्राय: मलिका पुखराज द्वारा गाई गज़ल की यह लाईन होती है:

“अभी तो मैं जवान हूँ, अभी तो मैं जवान हूँ.”

जवानी केवल शरीर की नहीं होती बल्कि जवानी तो दिल की होती है. आदमी बेशक बूढ़ा हो जाये लेकिन उसका दिल जवान रहता है:

वक्त क्या ढाएगा इस से बढ़कर इंसान पे सितम,

जिस्म बूढ़ा कर दिया और दिल जवान रहने दिया.

लेख पढ़ने के पश्चात् आप यह भी सोच सकते हैं कि कहना बहुत आसान है कि ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है परन्तु जीवन में कभी-कभी ऐसी समस्याएं भी आती हैं कि जीना दूभर हो जाता है. ऐसे हालात में जब जीना ही मुश्किल हो जाये तो ज़िंदादिली आयेगी कहांसे? बिलकुल ठीक. ज़िंदगी में जब भी कभी मुश्किलें आती हैं तो दुआ के लिए हाथ अनायास ही आसमान की तरफ़ उठ जाते हैं. परन्तु जब तक आदमी स्वयं प्रयास न करे आदमी तो क्या ख़ुदा (ईश्वर) भी साथ नहीं देता. किसी ने बिलकुल ठीक कहा है:

“हिम्मते मर्दां, मददे ख़ुदा”

ईश्वर केवल हिम्मत करने वालों का साथ देता है. इसलिए ज़िंदगी की उलझनों को सुलझाने के लिए हिम्मत रुपी ज़िंदादिली चाहिए.

आओ आज ज़िंदगी को ज़िंदादिली से जीने का प्रयास करके ज़िंदगी का आनंद लें क्योंकि कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा.

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