अनुच्छेद लिखिए मन के हारे हार है मन जीते जग जीत कक्षा 7 के लिए
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Man ke Hare Har मन के जीते जीत Hindi Anuched
प्रस्तुत पोस्ट Man ke Hare Har मन के जीते जीत Hindi Anuched में मन की शक्ति के बारे में बताया गया है. सफलता के मार्ग पर कदम बढ़ाते बढ़ाते व्यक्ति अचानक सफलता का प्रयास करना छोड़ देता है. इसका एकमात्र कारण उसका हिम्मत हारना होता है. पहला तो उसे अपनी सफलता का मार्ग कठिन लगता है. दूसरे व्यक्ति के मन में दुर्बलता या कमजोरी आ जाती है.
Man ke Hare Har मन के जीते जीत Hindi Anuched
Man ke Hare Har मन के जीते जीत Hindi Anuched
लक्ष्य मार्ग का कठिन होना या सरल होना – यह तो किसी व्यक्ति के हाथ में नहीं होता. समय और परिस्थितयों के वश ही आदमी को कोई कार्य कठिन या सरल लगता है. एक इंसान अपनी आत्मिक शक्ति को दृढ़ बनाकर अपने कठिन मार्ग को भी सुगम बना लेता है. कमजोर इच्छा शक्ति वाले व्यक्ति को तो आसान काम भी मुश्किल लगने लगता है.कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी वे जीत के लिए निरंतर संघर्ष करते रहते हैं और अंत में विजयश्री भी उन्हें अवश्य मिलती है । ऐसे व्यक्ति भाग्य पर नहीं अपितु अपने कर्म में आस्था रखते हैं । वे अपने मनोबल तथा दृढ़ इच्छा-शक्ति से असंभव को भी संभव कर दिखाते हैं ।
मन के द्वारा संचालित कर्म ही प्रधान और श्रेष्ठ होता है । मन के द्वारा जब कार्य संचालित होता है तब सफलताओं के नित-प्रतिदिन नए आयाम खुलते चले जाते हैं । मनुष्य अपनी संपूर्ण मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं का अपने कार्यों में उपयोग तभी कर सकता है जब उसके कार्य मन से किए गए हों ।
अनिच्छा या दबाववश किए गए कार्य में मनुष्य कभी भी अपनी पूर्ण क्षमताओं का प्रयोग नहीं कर पाता है । अत: मन के योग से ही कार्य की सिद्धि होती है मन के योग के अभाव में अस्थिरता उत्पन्न होती है । मनुष्य यदि दृढ़ निश्चयी है तथा उसका आत्मविश्वास प्रबल है तब वह सफलता के लिए पूर्ण मनोयोग से संघर्ष करता है ।
सफलता प्राप्ति में यदि विलंब भी होता है अथवा उसे अनेक प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है तब भी वह क्षण भर के लिए भी अपना धैर्य नहीं खोता है । एक-दो चरणों में यदि उसे आशातीत सफलता नहीं मिलती है तब भी वह संघर्ष करता रहता है और अंतत: विजयश्री उसे ही प्राप्त होती है ।
इसलिए सच ही कहा गया है कि ‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’ । हमारी पराजय का सीधा अर्थ है कि विजय के लिए पूरे मन से प्रयास नहीं किया गया । परिस्थितियाँ मनुष्य को तभी हारने पर विवश कर सकती हैं जब वह स्वयं घुटने टेक दे ।
हालाकि कई बार परिस्थितियाँ अथवा जमीनी सचाइयों इतनी भयावह होती हैं कि व्यक्ति चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता परंतु दृढ़निश्चयी बनकर वह धीरे-धीरे ही सही परिस्थितियों को अपने वश में कर सकता है ।
Answer:
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Explanation:
मनुष्य के जीवन में पल-पल परिस्थितीयाँ बदलती रहती है। जीवन में सफलता-असफलता, हानि-लाभ, जय-पराजय के अवसर मौसम के समान है, कभी कुछ स्थिर नहीं रहता। जिस तरह ‘इंद्रधनुष के बनने के लिये बारिश और धूप दोनों की जरूरत होती है उसी तरह एक पूर्ण व्यक्ति बनने के लिए हमें भी जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों से होकर गुजरना पड़ता है।‘ ।हमारे जीवन में सुख भी है दुःख भी है, अच्छाई भी है बुराई भी है। जहाँ अच्छा वक्त हमें खुशी देता है, वहीं बुरा वक्त हमें मजबूत बनाता है। हम अपनी जिन्दगी की सभी घटनाओं पर नियंत्रण नही रख सकते, पर उनसे निपटने के लिये सकारात्मक सोच के साथ सही तरीका तो अपना ही सकते हैं। कई लोग अपनी पहली असफलता से इतना परेशान हो जाते हैं कि अपने लक्ष्य को ही छोङ देते हैं। कभी-कभी तो अवसाद में चले जाते हैं। अब्राहम लिंकन भी अपने जीवन में कई बार असफल हुए और अवसाद में भी गए, किन्तु उनके साहस और सहनशीलता के गुण ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ सफलता दिलाई। अनेकों चुनाव हारने के बाद 52 वर्ष की उम्र में अमेरिका के राष्ट्रपती चुने गए।
दोस्तों, हर रात के बाद सुबह होती है। जिन्दगी हँसाती भी है रुलाती भी है,जो हर हाल में आगे बढने की चाह रखते हैं जिन्दगी उसी के आगे सर झुकाती है। हम जो भी कार्य करना चाहते हैं उसकी शुरुआत करें, आने वाली बाधाओं को सोच कर बैठ न जाएं। कई लोग सफल तो होना चाहते हैं किन्तु थोङी सी असफलता से परेशान हो जाते हैं और कहने लगते हैं कि हम तो ये नही कर सकते या ये मुझसे ये नही हो सकता। भाई, ऐसा कौन सा काम है जो इंसान नही कर सकता। हम ये क्यों नही सोचते कि हम ये काम कर सकते हैं और आज नही तो कल अपना लक्ष्य जरूर हासिल कर लेंगे|
Thank you
Hope it help