Hindi, asked by s136718073, 5 months ago

अनुच्छेद लिखो:-
पर्यावरण की सुरक्षा❔❓- प्लास्टिक की उपेक्षा❓❔
इन दोनों में से एक बतादो
please guys ​

Answers

Answered by radityasingh44
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Answer:Merry ChristmasExplanation:anth: hme paryaavaran ki suraksha karni chahiye. Please mark brainleist

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Answered by jp9713520
2

Answer:

पर्यावरण की सुरक्षा

Explanation:

प्रस्तावना–

पर्यावरण शब्द “परि + आवरण’ के संयोग से निर्मित है। यहाँ ‘परि’ का अर्थ है–चारों ओर तथा ‘आवरण’ का अर्थ है–घेरा। अर्थात् ऐसी चीजों का समुच्चय, जो प्राणियों को चारों ओर से घेरे हुए है, उसे पर्यावरण कहते हैं। प्रकृति ने हमारे चारों ओर ऐसी वस्तुएँ और वातावरण निर्मित किए हैं, जो सब प्रकार से हमारी उन्नति और स्वास्थ्य के अनुकूल हैं। मगर हमने प्रकृति के इस सन्तुलन अर्थात् पर्यावरण को अपने क्रिया–कलाप से विकृत कर दिया है। इसलिए आज इसकी सुरक्षा की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। आज पर्यावरण सुरक्षा सम्पूर्ण विश्व की समस्या बन गई है।

पर्यावरण सुरक्षा की समस्या–

आज मानव प्रकृति पर विजय प्राप्त करने का सपना देखने लगा है। यही कारण है कि आज प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ गया है। जीवनदायिनी प्रकृति कुपित होकर विनाश की ओर अग्रसर है, परन्तु मनुष्य इस असन्तुलन के प्रति अब भी सावधान नहीं हो रहा है, फलतः पर्यावरण सुरक्षा की समस्याएँ बढ़ती जा रही हैं।

निरन्तर जनसंख्या–वृद्धि, औद्योगीकरण एवं शहरीकरण ने तीव्रगति से प्रकृति के हरे–भरे क्षेत्रों को कंकरीट के जगलों में परिवर्तित कर दिया है। ‘जल ही जीवन है’ का जाप करनेवाला मनुष्य स्वयं जल के लिए समस्या बन गया है।कारखानों से निकलनेवाले अपशिष्ट पदार्थों को नदियों के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है, जिससे जल अशुद्ध होता है।

परमाणु–शक्ति उत्पादन–

केन्द्रों और परमाणु परीक्षणों के परिणामस्वरूप जल, वायु तथा पृथ्वी पर रेडियोधर्मी पदार्थ छोटे–छोटे कणों के रूप में वातावरण में फैल जाते हैं, जो लोगों के लिए प्राणघातक सिद्ध होते हैं। यह रेडियोधर्मी प्रदूषण आगामी अनेक पीढ़ियों के लिए भयंकर समस्याएँ उत्पन्न करता है। स्वास्थ्य–सम्बन्धी समस्याएँ तो इन पीढ़ियों को जन्म से ही होती हैं।

पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता–

पर्यावरण और प्राणियों का घनिष्ठ सम्बन्ध है, परन्तु मानवीय महत्त्वाकांक्षाओं, भूलों, प्रतिस्पर्धाओं के चलते पर्यावरण प्रदूषण का संकट उत्पन्न हो गया है। प्रदूषण के आधिक्य से पृथ्वी के अनेक जीव और वनस्पतियाँ लुप्त हो गए हैं और अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। यदि पर्यावरण प्रदूषण इसी गति से बढ़ता रहा तो वह दिन भी दूर नहीं है, जब मनुष्य का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा।

इसीलिए पर्यावरण सुरक्षा से सम्बन्धित व्यापक अवधारणाएँ दिनोंदिन जन्म ले रही हैं। पर्यावरण सुरक्षा की महत्ता आज अन्तरराष्ट्रीय चिन्ता का विषय बन चुकी है। जून 1972 ई० में स्टॉकहोम में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानव पर्यावरण सम्मेलन में पर्यावरण सुरक्षा को लेकर एक घोषणा–पत्र जारी किया गया। तब से निरन्तर जलवायु परिवर्तन पर अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए जाते रहे हैं।

पर्यावरण सुरक्षा के उपाय–

पर्यावरण सुरक्षा हेतु जन जागरण, सहयोग और समर्थन अनिवार्य है। प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे–छोटे कदमों से बहुत ही सरल ढंग से पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है; जैसे–

कचरे की मात्रा कम करना।

कचरे को सही स्थान पर फेंकना।

पॉलीबैग का प्रयोग बन्द करना। पुरानी वस्तुओं को नए ढंग से पुनः प्रयोग में लाना।

रेन वाटर हार्वेस्टिंग द्वारा वर्षा–जल का संरक्षण करना।

पानी की बर्बादी को रोकना।

ऊर्जा संरक्षण करना, बिजली के दुरुपयोग को समाप्त करके उसका कम–से–कम प्रयोग करना।

वायु–प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण पर नियन्त्रण रखना।

कृत्रिम उर्वरकों के स्थान पर जैव उर्वरकों का प्रयोग करना।

अधिकाधिक संख्या में वृक्षारोपण करना।

भारी मात्रा में हो रहे वृक्ष–कटान को रोकना इत्यादि

उपसंहार–

हमें भविष्य में सुरक्षित एवं स्वस्थ जीवन की सम्भावना सुनिश्चित करने के लिए न केवल पर्यावरण की महत्ता समझनी होगी, अपितु उसे सुरक्षित रखने का भी उत्तरदायित्व निभाना होगा।

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