अनुच्छेद लिखित
2. भारतीय समाज में नारी
भूमिका
प्राचीनकाल में नारी की दशा
मध्यकाल में नारी
समाज सुधारको द्वारा नारी के उत्थान के प्रयास
स्वतंत्रता प्रप्ति के बाद नारी की प्रगति
उपसंहार
Answers
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नारी का सम्मान करना और उसकी रक्षा करना भारत की प्राचीन संस्कृति है। औरतें जन्म से लेकर मृत्यु तक अपने सारे कर्त्तव्य निभाती है। वह एक माँ, पत्नी, बेटी, बहन आदि सभी रिश्तों को पूरे दायित्व और निष्ठा के साथ निभाती है। इस देश में जहां नारी को देवी के रूप में पूजा जाता है, वही दूसरी ओर उन्हें कमज़ोर भी समझा जाता है।
प्राचीन काल में नारी को उनका उचित स्थान नहीं दिया जाता था। नारी ने रिश्तों को निभाने के लिए और परिवार को सहज कर रखने के लिए कई अत्याचार सहे। घर पर भी लड़कियों को लड़को के समान अधिकार नहीं दिए जाते थे।
नारी को पहले पराया धन समझा जाता था। लड़का -लड़की में भेद भाव भी किया जाता था। लड़को को हर मामले में छूट थी और शिक्षा पर उनका ज़्यादा अधिकार होता था। लड़कियों को घर का काम काज करना सिखाया जाता था। तब लोगो की सोच थी कि लड़कियां पढ़ लिखकर क्या करेगी, उन्हें तो शादी करके रसोई संभालना है।
नारी के असंख्य रूप है! कभी मेनका बनती है, तो दुष्यन्त के लिए शकुन्तला, शिवजी के लिए पार्वती, राम के लिए सीता। औरतें कभी सिंहनी, कभी चंडी, कभी विलासिता की प्रतिमा, कभी त्याग की देवी बनती है। नारी एक है,परन्तु उनके अनेक और अनगिनत रूप है।
शास्त्रों और साहित्य से यह मालूम हुआ कि वैदिक युग में नारी को बेहद सम्मान प्राप्त था। नारी उस समय स्वतंत्र थी, महिलाओं पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबन्ध नहीं था और महिलाये यज्ञो, अनुष्ठानो में भाग लेती थी।उस समय कहा जाता है कि “यत्रनार्यस्तु पूज्यते, रभन्ते तत्र देवताः। इसका अर्थ है जहां औरतों की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते है। लेकिन इस कथन की मान्यता, हर युग के समाज ने भली भाँती नहीं की है।
समय का चक्र घुमा और साहित्य ने नारी की अलग छवि प्रस्तुत की। रामायण में रावण जैसे अत्याचारी ने सीता को अगवा किया था, जिसके लिए सीता ने अपने आपको पवित्र साबित करने के लिए अग्नि परीक्षा दी थी।
महाभारत युग में दुर्योधन जैसे अत्याचारी और क्रूर इंसान ने द्रौपदी को भरी सभा में वस्त्रहीन करने की चेष्टा की थी। यह एक निंदनीय काण्ड था। युधिष्टर जैसे व्यक्ति ने जुए में जीतने के लिए अपनी पत्नी द्रौपदी को दांव पर लगा दिया था। इस युग में नारी का अपमान और तिरस्कार हुआ।आधुनिक युग में कई कविओ ने महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचारों से मुक्त कराने का प्रयास किया। गुप्त जी और पंत जी ने भी महिलाओ की इस अवस्था के प्रति दुःख जताया और अपने शब्दों में उसे व्यक्त किया था।
भारतीय इतिहास में सती प्रथा के कारण भी औरतों को अपनी जान गंवानी पड़ी। भारत और नेपाल में पंद्रहवी और अठाहरवीं शताब्दी में तक़रीबन हर वर्ष एक हज़ार औरतों को अपने पति के गुजरने के बाद ज़िंदा जला दिया जाता था।भारत की बेटी कल्पना चावला ने एस्ट्रोनॉट बनकर भारत का नाम रोशन किया था। मदर टेरेसा ने समाज की उन्नति के लिए बहुत सारे कार्य किये। उन्होंने गरीबो और ज़रूरतमंदो के लिए अनगिनत कार्य किये, वह एक मिसाल है। सरोजिनी नायडू देश की प्रथम महिला गवर्नर थी। उन्होंने एक स्वंतंत्रता सेनानी के रूप में कार्य किये थे।
उन्होंने कम उम्र से कविताएं लिखनी शुरू की थी। उन्होंने देश को आज़ादी दिलाने के लिए कई कार्य किये थे। उनको भारत में कोकिला का नाम से जाना जाता है। विजयलक्ष्मी पंडित, कस्तूरबा, कमला नेहरू जैसी महिलाओं ने अंग्रेज़ो के विरुद्ध अपनी भूमिका निभायी।