Hindi, asked by palak5354, 1 year ago

अनुच्छेद लेखन (100-120 शब्द)
(क) प्रातः कालीन भ्रमण-
संकेत बिंदु-
1. प्रकृति से संपर्क
2. शारीरिक व्यायाम
3. सेहत के लिए उपयोगी एवं लाभदायक

ऊपर दिए गए संकेत बिंदुओं की सहायता से ही अनुच्छेद लिखे।​

Answers

Answered by Anonymous
23

किसी कवि ने ठीक ही कहा है कि प्रात: काल सैर करने से स्वास्थ्य सुधरता है । प्रात: काल उठने के लिए आवश्यक है कि रात को शीघ्र सो जायें । “Early to bed and early to rise” का सिद्धान्त अपनाएं । गाँवों में रहने वाले लोगों को प्रकृति की स्वच्छ हवा आसानी से मिल जाती है ।

परन्तु महानगरों में कल-कारखानों की अधिकता और मोटरकारों का धुंआ दिनभर वायुमंडल को प्रदूषित करता रहता है । स्वच्छ, सुगंधित, शीतल वायु का सेवन हम प्रात: काल ही कर सकते हैं । प्रात: काल घूमने की आदत बहुत अच्छी होती है ।

हम लोग रोहिणी में रहते हैं । यहाँ आस-पास अनेक बड़े-बड़े हरे-भरे घास के मैदान हैं । यहाँ स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स के पास बहुत बड़ा पार्क है, जो सैक्टर 14 और 13 के मध्य स्थित है । यह पार्क कई एकड़ में फैला है । बीच में फव्वारा है । हरी घास के विशाल मैदान हैं और बीच-बीच में अनेक वृक्ष हैं । मैं भी प्रतिदिन इसी पार्क में भ्रमण करने जाता हूँ ।

प्रात: कालीन भ्रमण के अनेक लाभ हैं । सब से पहला लाभ यह है कि प्रात: काल शीघ्र उठने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है । प्रात: कालीन शीतल वायु फेफड़ों के लिए बहुत अच्छी होती है । इससे स्मरण-शक्ति तीव्र होती है । घूमने फिरने से शरीर में एक नई चेतना उत्पन्न होती है ।

इस विशाल पार्क में अनेक लोग सामूहिक योगासन करते हुए देखे जा सकते हैं । कहीं युवा छात्र फुटबाल या बालीबॉल खेलते हैं । कहीं स्त्रियां आसन करती दिखाई देती हैं तो कहीं वृद्धजनों की टोली भगवान का कीर्तन करने में संलग्न दिखाई देती है ।

पार्क में गेरुआ ध्वज के नीचे सफेद कमीज और खाकी नेकर पहने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सेवक विभिन्न प्रकार के व्यायाम करते मिलते हैं । वे कभी कबड्‌डी मैच खेलते हैं, कभी लाठी चलाने का अभ्यास करते हैं और कभी राष्ट्र-भक्ति पूर्ण गीत गाते हैं । उनके कार्यक्रम का प्रारम्भ ‘वंदे मातरम्’ गीत से और समापन वैदिक शान्तिपाठ से होता है ।


palak5354: is it according to the point
palak5354: givem
palak5354: given
Anonymous: Yeah dear
Anonymous: plzz Mark as brainliest
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palak5354: ok
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Answered by jharihansh9
4

Answer:

किसी कवि ने ठीक ही कहा है कि प्रात: काल सैर करने से स्वास्थ्य सुधरता है । प्रात: काल उठने के लिए आवश्यक है कि रात को शीघ्र सो जायें । “Early to bed and early to rise” का सिद्धान्त अपनाएं । गाँवों में रहने वाले लोगों को प्रकृति की स्वच्छ हवा आसानी से मिल जाती है ।

परन्तु महानगरों में कल-कारखानों की अधिकता और मोटरकारों का धुंआ दिनभर वायुमंडल को प्रदूषित करता रहता है । स्वच्छ, सुगंधित, शीतल वायु का सेवन हम प्रात: काल ही कर सकते हैं । प्रात: काल घूमने की आदत बहुत अच्छी होती है ।

हम लोग रोहिणी में रहते हैं । यहाँ आस-पास अनेक बड़े-बड़े हरे-भरे घास के मैदान हैं । यहाँ स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स के पास बहुत बड़ा पार्क है, जो सैक्टर 14 और 13 के मध्य स्थित है । यह पार्क कई एकड़ में फैला है । बीच में फव्वारा है । हरी घास के विशाल मैदान हैं और बीच-बीच में अनेक वृक्ष हैं । मैं भी प्रतिदिन इसी पार्क में भ्रमण करने जाता हूँ ।

प्रात: कालीन भ्रमण के अनेक लाभ हैं । सब से पहला लाभ यह है कि प्रात: काल शीघ्र उठने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है । प्रात: कालीन शीतल वायु फेफड़ों के लिए बहुत अच्छी होती है । इससे स्मरण-शक्ति तीव्र होती है । घूमने फिरने से शरीर में एक नई चेतना उत्पन्न होती है ।

इस विशाल पार्क में अनेक लोग सामूहिक योगासन करते हुए देखे जा सकते हैं । कहीं युवा छात्र फुटबाल या बालीबॉल खेलते हैं । कहीं स्त्रियां आसन करती दिखाई देती हैं तो कहीं वृद्धजनों की टोली भगवान का कीर्तन करने में संलग्न दिखाई देती है ।

पार्क में गेरुआ ध्वज के नीचे सफेद कमीज और खाकी नेकर पहने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सेवक विभिन्न प्रकार के व्यायाम करते मिलते हैं । वे कभी कबड्‌डी मैच खेलते हैं, कभी लाठी चलाने का अभ्यास करते हैं और कभी राष्ट्र-भक्ति पूर्ण गीत गाते हैं । उनके कार्यक्रम का प्रारम्भ ‘वंदे मातरम्’ गीत से और समापन वैदिक शान्तिपाठ से होता है ।

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