अनुच्छेद लेखन (100-120 शब्द)
(क) प्रातः कालीन भ्रमण-
संकेत बिंदु-
1. प्रकृति से संपर्क
2. शारीरिक व्यायाम
3. सेहत के लिए उपयोगी एवं लाभदायक
ऊपर दिए गए संकेत बिंदुओं की सहायता से ही अनुच्छेद लिखे।
Answers
किसी कवि ने ठीक ही कहा है कि प्रात: काल सैर करने से स्वास्थ्य सुधरता है । प्रात: काल उठने के लिए आवश्यक है कि रात को शीघ्र सो जायें । “Early to bed and early to rise” का सिद्धान्त अपनाएं । गाँवों में रहने वाले लोगों को प्रकृति की स्वच्छ हवा आसानी से मिल जाती है ।
परन्तु महानगरों में कल-कारखानों की अधिकता और मोटरकारों का धुंआ दिनभर वायुमंडल को प्रदूषित करता रहता है । स्वच्छ, सुगंधित, शीतल वायु का सेवन हम प्रात: काल ही कर सकते हैं । प्रात: काल घूमने की आदत बहुत अच्छी होती है ।
हम लोग रोहिणी में रहते हैं । यहाँ आस-पास अनेक बड़े-बड़े हरे-भरे घास के मैदान हैं । यहाँ स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स के पास बहुत बड़ा पार्क है, जो सैक्टर 14 और 13 के मध्य स्थित है । यह पार्क कई एकड़ में फैला है । बीच में फव्वारा है । हरी घास के विशाल मैदान हैं और बीच-बीच में अनेक वृक्ष हैं । मैं भी प्रतिदिन इसी पार्क में भ्रमण करने जाता हूँ ।
प्रात: कालीन भ्रमण के अनेक लाभ हैं । सब से पहला लाभ यह है कि प्रात: काल शीघ्र उठने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है । प्रात: कालीन शीतल वायु फेफड़ों के लिए बहुत अच्छी होती है । इससे स्मरण-शक्ति तीव्र होती है । घूमने फिरने से शरीर में एक नई चेतना उत्पन्न होती है ।
इस विशाल पार्क में अनेक लोग सामूहिक योगासन करते हुए देखे जा सकते हैं । कहीं युवा छात्र फुटबाल या बालीबॉल खेलते हैं । कहीं स्त्रियां आसन करती दिखाई देती हैं तो कहीं वृद्धजनों की टोली भगवान का कीर्तन करने में संलग्न दिखाई देती है ।
पार्क में गेरुआ ध्वज के नीचे सफेद कमीज और खाकी नेकर पहने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सेवक विभिन्न प्रकार के व्यायाम करते मिलते हैं । वे कभी कबड्डी मैच खेलते हैं, कभी लाठी चलाने का अभ्यास करते हैं और कभी राष्ट्र-भक्ति पूर्ण गीत गाते हैं । उनके कार्यक्रम का प्रारम्भ ‘वंदे मातरम्’ गीत से और समापन वैदिक शान्तिपाठ से होता है ।
Answer:
किसी कवि ने ठीक ही कहा है कि प्रात: काल सैर करने से स्वास्थ्य सुधरता है । प्रात: काल उठने के लिए आवश्यक है कि रात को शीघ्र सो जायें । “Early to bed and early to rise” का सिद्धान्त अपनाएं । गाँवों में रहने वाले लोगों को प्रकृति की स्वच्छ हवा आसानी से मिल जाती है ।
परन्तु महानगरों में कल-कारखानों की अधिकता और मोटरकारों का धुंआ दिनभर वायुमंडल को प्रदूषित करता रहता है । स्वच्छ, सुगंधित, शीतल वायु का सेवन हम प्रात: काल ही कर सकते हैं । प्रात: काल घूमने की आदत बहुत अच्छी होती है ।
हम लोग रोहिणी में रहते हैं । यहाँ आस-पास अनेक बड़े-बड़े हरे-भरे घास के मैदान हैं । यहाँ स्पोर्ट्स कॉम्पलैक्स के पास बहुत बड़ा पार्क है, जो सैक्टर 14 और 13 के मध्य स्थित है । यह पार्क कई एकड़ में फैला है । बीच में फव्वारा है । हरी घास के विशाल मैदान हैं और बीच-बीच में अनेक वृक्ष हैं । मैं भी प्रतिदिन इसी पार्क में भ्रमण करने जाता हूँ ।
प्रात: कालीन भ्रमण के अनेक लाभ हैं । सब से पहला लाभ यह है कि प्रात: काल शीघ्र उठने से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है । प्रात: कालीन शीतल वायु फेफड़ों के लिए बहुत अच्छी होती है । इससे स्मरण-शक्ति तीव्र होती है । घूमने फिरने से शरीर में एक नई चेतना उत्पन्न होती है ।
इस विशाल पार्क में अनेक लोग सामूहिक योगासन करते हुए देखे जा सकते हैं । कहीं युवा छात्र फुटबाल या बालीबॉल खेलते हैं । कहीं स्त्रियां आसन करती दिखाई देती हैं तो कहीं वृद्धजनों की टोली भगवान का कीर्तन करने में संलग्न दिखाई देती है ।
पार्क में गेरुआ ध्वज के नीचे सफेद कमीज और खाकी नेकर पहने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सेवक विभिन्न प्रकार के व्यायाम करते मिलते हैं । वे कभी कबड्डी मैच खेलते हैं, कभी लाठी चलाने का अभ्यास करते हैं और कभी राष्ट्र-भक्ति पूर्ण गीत गाते हैं । उनके कार्यक्रम का प्रारम्भ ‘वंदे मातरम्’ गीत से और समापन वैदिक शान्तिपाठ से होता है ।
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