अनुच्छे द लेखन: बाल मजदू री एक सामाजजक अजिशाप।
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बचपन इंसान की जिदगी का सबसे हसीन पल न किसी बात की चिंता न कोई जिम्मेदारी बस हर समय अपनी मस्तियों में खोए रहना, खेलना कूदना और पढना। लेकिन सभी का बचपन ऐसा है। यह जरूरी नही। बाल मजदूरी की समस्या से आप अच्छी तरह वाकिफ होगे। कोई भी ऐसा बच्चा जिसकी उम्र 14 वर्ष से कम हो और वो जिविका के लिए काम करे बाल मजदूर कहलाता है। गरीबी लाचारी और माता पिता की प्रताडना के चलते ये बच्चे बाल मजदूरी के दल मे धसते चले जाते है।
आज दुनिया भर मे 215 मिलियन ऐसे बच्चे है। जिनकी उम्र 14 वर्ष से कम है। और इन बच्चो का समय स्कूल मे कॉपी किताबो और दोस्तो के बीच नही बल्कि होटलो, घरांे, उद्योगो में बर्तनों झाडू - पोछे और ओजारों के बीच बीतता है।
दुनिया में सबसे ज्यादा बाल मजदूर भारत मे ही है। 1991 की जनगणना के हिसाब से बाल मजदूरों का आंकडा 11ण्3 मिलियन था। 2001 में यह आकडा 12ण्7 मिलियन पहुंच गया। बडे शहरों के साथ छोटे शहरो में भी हर गली नुक्कड पर कई राजू मुन्नी छोटु चवन्नी मिल जाएगे जो हालात के चलते बाल मजदूरी की गिरफ्त मे आ चुके है। और यह बात केवल बाल मजदूरी तक ही सीमित नही है इसके साथ बच्चों को कई घिनौने कुकृत्यो का भी सामना करना पडता है। जिनका बच्चों के मासूम मन पर बडा गहरा प्रभाव पडता है।