अनुच्छेद लेखन का अर्थ है- *
पैराग्राफ राइटिंग
निबंध लेखन
उपरोक्त दोनों
इनमें से कोई नहीं।
Answers
Answer: किसी विषय पर थोड़े, किन्तु चुने हुए शब्दों में अपने विचार प्रकट करने के प्रयास को अनुछेद लेखन कहा जाता है। यह किसी लेख, निबंध या रचना का अंश भी हो सकता है किन्तु स्वयं में पूर्ण होना चाहिए। डॉ॰ किरण नन्दा के शब्दों में अनुच्छेद को यों परिभाषित किया जा सकता है-
किसी भी शब्द, वाक्य, सूत्र से सम्बद्ध विचार एवं भावों को अपने अर्जित ज्ञान, निजी अनुभूति से संजोकर प्रवाहमयी शैली के माध्यम से गद्यभाषा में अभिव्यक्त करना अनुच्छेद कहलाता है।
उक्त परिभाषा के आधार पर स्पष्ट है कि अनुच्छेद लेखन का कोई भी विषय हो सकता है, वह शब्द, वाक्य, सूत्र रूप में भी हो सकता है। उसका विस्तार स्वतंत्र रूप में प्रवाहमयी शैली में होना चाहिए तथा गद्य भाषा में अभिव्यक्त होना चाहिए। जब हम किसी विषय, विचार या शीर्षक को विस्तारपूर्वक लिखें कि एक अनुच्छेद तैयार हो जाए तो इसे 'अनुच्छेद लेखन' कहा जाता है।
'अनुच्छेद-लेखन' और 'निबंध-लेखन' तथा 'पल्लवन लेखन' में अन्तर है। इनके पारस्परिक अंतर को समझ लेना आवश्यक है।अनुच्छेद एवं निबन्ध
दोनों विधाओं में लेखक अपने भावों एवं विचारों को विकसित करता है फिर भी दोनों में पर्याप्त अन्तर है।
(१) निबंध में भूमिका, विकास तथा उपसंहार होता है किन्तु लघु रचना होने के कारण अनुच्छेद में लेखक प्रथम वाक्य से ही विषय का प्रतिपादन आरंभ कर देता है।
(२) निबंध में मूल विचार का विस्तार उसके सभी आयामों के साथ होता है जबकि अनुच्छेद में एक ही विचार बिन्दु का प्रतिपादन होता है।
(३) निबंध में विषय के सभी पहलुओं को प्रस्तुत किया जाता है जबकि अनुच्छेद में लेखक मूल विषय के साथ ही जुड़ा है और संक्षेप में अपनी बात प्रस्तुत करता है।(१) पल्लवन प्रायः किसी लेखक की प्रसिद्ध पंक्ति, लोकोक्ति, सूक्ति अथवा सूत्र वाक्य आदि पर लिखा जाता है किन्तु अनुच्छेद किसी भी रचना का एक भाग होता है जिसमें मुख्य विषय को पुष्ट करने हेतु तथ्य दिए
जाते हैं।
(२) पल्लवन में आत्मकथात्मक शैली ('मैं' शैली) का प्रयोग नहीं होता जबकि अनुच्छेद लेखन में आत्मकथात्मक शैली का प्रयोग भी किया जा सकता है।
(३) पल्लवन में केवल वर्तमान काल का प्रयोग किया जाता है जबकि अनुछेद लेखन में किसी भी काल का प्रयोग किया जा सकता है।
(४) पल्लवन में एक से अधिक अनुच्छेद हो सकते हैं क्योंकि पल्लवन का आकार अनुच्छेद से अपेक्षाकृत बड़ा होता है जबकि अनुच्छेद एक ही पैराग्राफ़ में लिखा जाता है।अनुच्छेद-लेखन की विधि
दिए गए विषय पर लेखक अपने अर्जित ज्ञान, निजी अनुभूति तथा सशक्त भाषा के द्वारा अपने विचारों को अनुच्छेद के रूप में अभिव्यक्त करता है। एक अच्छे अनुच्छेद के लिए निम्न बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
(1) चुने हुए विषय पर थोड़ा चिन्तन-मनन आवश्यक है ताकि मूल भाव भली-भाँति स्पष्ट हो जाए।
(2) मूलभाव से संबद्ध विविध आयामों के बारे में सोचकर एक रूपरेखा बना लेनी चाहिए जिससे विषय का विस्तार किया जा सके।
(3) अनुच्छेद लिखते समय क्रमबद्धता बनी रहनी चाहिए।
(4) अनुच्छेद लिखते समय पुनरावृत्ति दोष से बचना चाहिए।
(5) अनुच्छेद में अप्रांसगिक या अनावश्यक बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए।
(6) विषय को प्रस्तुत करने की शैली अथवा पद्धति तय करनी चाहिए।
(7) अनुच्छेद की भाषा सरल, सुबोध एवं विषय के अनुकूल होनी चाहिए। मुहावरे, लोकोक्तियों आदि का प्रयोग करके भाषा को सुंदर एवं व्यावहारिक बनाया जा सकता है।
(8) लिखने के बाद पुनः उसका अध्ययन करना चाहिए तथा छूट गए दोषों का निराकरण करना चाहिए कि कहीं कोई सामग्री छूट तो नहीं गई है? कहीं अनुच्छेद में बिखराव तो नहीं आ गया है? कहीं अनुच्छेद में विरोधी बातें तो नहीं आ रही हैं? कहीं विरामचिह्न, वर्तनी, वाक्य-रचना, शब्द-प्रयोग आदि की दृष्टि से कोई संशोधन करने की आवश्यकता तो नहीं है? यदि ऐसा कोई दोष रह गया है तो उसे ठीक कर लेना चाहिए।
अनुच्छेद-लेखन की शैलियाँ
भाषा तथा साहित्य को जोड़ने वाली संकल्पना को 'शैली' कहा जाता है। शैली को सहेतुक भाषा-पद्धति कहा जाता है। भाषा की प्रयुक्ति विशेष, विधा विशेष तथा प्रयोक्ता विशेष के अनुसार भाषा में जो विभिन्नताएँ दिखाई देती हैं, उन्हें भाषा की शैलियाँ कहा जाता है। अनुच्छेद लेखन मे प्रायः निम्नलिखित शैलियों का प्रयोग होता है-
भावात्मक शैली
समास शैली
व्यंग्य शैली
तरंग शैली
चित्र शैली
व्यास-शैली
इनके अतिरिक्त लेखक अनेक प्रकार की शैलियों जैसे वर्णनात्मक, विवरणात्मक, विचारात्मक, सामान्य बोलचाल की शैली का प्रयोग कर सकता है। अपनी रूचि और विषय के अनुकूल शैली के प्रयोग से अनुच्छेद में सजीवता आ जाती है। वर्णन, विचार और भाव के अनुकूल शैली का प्रयोग होना चाहिए जिससे अनुच्छेद में यथेष्ट प्रवाह, रमणीयता आदि गुण समाविष्ट हो जाते हैं।