Hindi, asked by benu65, 5 months ago

अनुच्छेद लेखन खेलों का महत्व
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Answered by sarthak5243
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Answer:

जिन्दगी में अक्सर खेल के महत्व को हम ध्यान नहीं देते हैं । खेल में भाग लेने से सबसे पहले तो हमारे स्वास्थ्य पर उत्तम प्रभाव पड़ता है । भागने से या क्रिकेट और टेनिस खेलने से हमारी सांस लेने की योग्यता 2 या 3 गुना बढ़ जाती है ।

इसके अलावा, हमारे शरीर में हमारे रक्त का परिसंचरण भी सुधर जाता है । खेलों में भाग लेने से, हमारा दिमाग भी ठंडा रहता है । अगर हम कभी काम से बहुत थक जाएँ या काम के बोझ से छूटना ढूंढ पाये तो फूटबाल की गेंद को लात मारकर हम अपने दिमाग के हर भाग पर फिर से काबू पा सकते हैं ।

स्वस्थ रहने के अलावा, खेल में भाग लेने से हम दोस्ती और विश्वास के सहानुभूतियों को बढ़ा सकते हैं । अक्सर कहा जाता है कि खेल से ही बन्दे का असली रूप दिख जाता है । मैं इस छोटी कहावत को पूरी तरह से मानता हूँ क्योंकि मैंने अपनी आखों से अपने ही दोस्तों को खेल के मैदान पर बदलते हुए देखा है ।

यह शायद इसलिए होता है क्योंकि मैदान पर मुकाबले पर हर खिलाड़ी का दिमाग इतना व्यस्त रहता है की वह बिना सोचे अपने को पराया बना देता है । परन्तु मैं मानता हूँ कि दिन के अंत में, अतिरिक्त समय एक साथ खेलने के पश्चात लोगों के बीच प्यार की संभावना बढ़ती है ।

और क्यों न कभी कभी यहाँ वहां असम्मति हो- दोस्ती लडाई से दुश्मनी तौ नहीं बन जाती ना? आज भी कुछ समाजों में खेल को उतना महत्व नहीं दिया जाता है जितना जरूरी है । माता पिता आज भी चाहतें है की उनका बेटा क्रिकेट खिलाड़ी की जगह डाक्टर बने या फिर पुलटबॉल मारने की जगह घर के शांत वातावरण में किताब पढे ।

मैं इनकी रायों का सम्मान जरूर करता हूँ । लेकिन मैं नहीं मानता कि शिष्य के लिए पूरी तरह से खेल बंद करना चाहिए । खेल के महत्व को समाज के हर व्यक्ति को समझना चाहिए ।

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Answered by Seghalmohinder
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जिन्दगी में अक्सर खेल के महत्व को हम ध्यान नहीं देते हैं । खेल में भाग लेने से सबसे पहले तो हमारे स्वास्थ्य पर उत्तम प्रभाव पड़ता है । भागने से या क्रिकेट और टेनिस खेलने से हमारी सांस लेने की योग्यता 2 या 3 गुना बढ़ जाती है ।

इसके अलावा, हमारे शरीर में हमारे रक्त का परिसंचरण भी सुधर जाता है । खेलों में भाग लेने से, हमारा दिमाग भी ठंडा रहता है । अगर हम कभी काम से बहुत थक जाएँ या काम के बोझ से छूटना ढूंढ पाये तो फूटबाल की गेंद को लात मारकर हम अपने दिमाग के हर भाग पर फिर से काबू पा सकते हैं ।

स्वस्थ रहने के अलावा, खेल में भाग लेने से हम दोस्ती और विश्वास के सहानुभूतियों को बढ़ा सकते हैं । अक्सर कहा जाता है कि खेल से ही बन्दे का असली रूप दिख जाता है । मैं इस छोटी कहावत को पूरी तरह से मानता हूँ क्योंकि मैंने अपनी आखों से अपने ही दोस्तों को खेल के मैदान पर बदलते हुए देखा है ।

यह शायद इसलिए होता है क्योंकि मैदान पर मुकाबले पर हर खिलाड़ी का दिमाग इतना व्यस्त रहता है की वह बिना सोचे अपने को पराया बना देता है । परन्तु मैं मानता हूँ कि दिन के अंत में, अतिरिक्त समय एक साथ खेलने के पश्चात लोगों के बीच प्यार की संभावना बढ़ती है ।

और क्यों न कभी कभी यहाँ वहां असम्मति हो- दोस्ती लडाई से दुश्मनी तौ नहीं बन जाती ना? आज भी कुछ समाजों में खेल को उतना महत्व नहीं दिया जाता है जितना जरूरी है । माता पिता आज भी चाहतें है की उनका बेटा क्रिकेट खिलाड़ी की जगह डाक्टर बने या फिर पुलटबॉल मारने की जगह घर के शांत वातावरण में किताब पढे ।

मैं इनकी रायों का सम्मान जरूर करता हूँ । लेकिन मैं नहीं मानता कि शिष्य के लिए पूरी तरह से खेल बंद करना चाहिए । खेल के महत्व को समाज के हर व्यक्ति को समझना चाहिए ।

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