अनुच्छेद लेखन लॉकडाउन की यादें
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Explanation:
लॉकडाउन का असर कुछ ऐसा आया, बिना माँगी छुट्टी ने सबका हुनर जगाया...
किसी ने गाना गाया, खाना बनाया, खुद भी नाचे, बच्चों को भी नचाया,
योगा किया- कराया और इन सबका विडियो भी बनाया, कविता बनायी,पेंटिंग बनायी
उफ, बताते बताते मेरी साँस फूल आई।
इन कुछ हफ्तों ने लेकिन एक अलग ही दुनिया दिखाई
रिश्ते जो वाह्टसऐप के मैसेज में सिमट कर रह गए थे कभी,
उन में एक नई चमक उभर कर आई
कई बरसों बाद फोन की लिस्ट में
अपनों के, यार दोस्तों के नंबरों को खोज निकाला
बीते हुए समय की यादों को एक बार फिर से जी डाला।
जिंदगी की भागदौड़ में, स्कूल कॉलेज के चक्करों में
कभी हम बिजी थे कभी बच्चे बिजी थे
आज उनके साथ पुराने नये कई खेल खेलते चले गए
संस्कारों की पोटली जो कहीं बंद पड़ी थी उसे भी खोलते चले गए।
सुबह की शुरुआत अब पंछियों की चहचहाट से होती है
खिड़कियां जो सिर्फ खोलती और बंद किया करती थी
आज वहाँ बैठ सुकून की चाय नसीब होती है।
अब सबकी जिंदगी में एक ठहराव-सा है
ना खत्म होने वाले सफर में,अनायास ही मिल गया हो
जैसे एक पड़ाव सा है,
तो क्यों न कुछ देर रूकें,थमें,हंसें,रोऐं,गुनगुनाएँ
जिंदगी में आई इस नई ताज़गी को महसूस करें।
अपनो के साथ फिर से रिश्ता जोड़ा है जिस तरह
क्यों ना खुद से भी जुड़ने की कोशिश करें।
ये लॉकडाउन तो बस कुछ हफ्तों में खत्म हो जायेगा,
जाते जाते जिंदगी के कुछ बंद तालों को खोल जायेगा,
और छोड़ जायेगा तो बस कुछ यादें
HOPE IT HELPS YOU
PLEASE MARK ME AS BRAINLIEST
THANKS