अनुच्छेद लेखन :- मानव सेवा
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सेवा से किसी का अहित नहीं होता बल्कि दो अनजान प्राणी प्रेम के बंधन में बंध जाते हैं। यही सच्ची ईश्वर की सेवा है। मनुष्य सारी उम्र अपनी सुख-सुविधा के लिए प्रयासरत्त रहता है। ... परोपकार, सेवाभाव, प्रेम, कर्मठता, दृढ़ निश्चयी एक मानव के जीवन को सार्थक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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मानवता का अर्थ इंसानियत, दया, मनुष्य जाति का स्वभाव, मानव जाति, मानव स्वभाव, भलामानस का गुण, मनुष्यत्व होता है। जब हम पशु पक्षियों और दूसरे जीवो के प्रति दया का भाव दिखाते हैं तो उसे मानवता कहते हैं।
ईश्वर ने मानव (मनुष्य) को सर्वश्रेष्ठ प्राणी बनाया है। मनुष्य 86 लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ जीव है। मनुष्य को ईश्वर ने बोलने की शक्ति दी है। मनुष्य बोलकर अपने मन के भावों को व्यक्त कर सकता है। हम अपने सुख-दुख, खुशी, गम, आश्चर्य सभी भावों को बोलकर प्रकट करते हैं।मानवता का अर्थ इंसानियत, दया, मनुष्य जाति का स्वभाव, मानव जाति, मानव स्वभाव, भलामानस का गुण, मनुष्यत्व होता है। जब हम पशु पक्षियों और दूसरे जीवो के प्रति दया का भाव दिखाते हैं तो उसे मानवता कहते हैं।