Hindi, asked by plzanswermyquestion, 9 months ago

अनुच्छेद लेखन-
मित्रता एक प्यारा रिश्ता

Answers

Answered by Anubhav555
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Explanation:

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत।” सुविख्यात कवि रहिमदास द्वारा रचित यह दोहा हम सब ने अपने किताबों में पढ़ा है। इस दोहे के माध्यम से कवि हम से कहता है, जब व्यक्ति के पास संपत्ति होता है तब उसके अनेक सगे-संबंधी तथा मित्र बनते हैं, उसके समीप आते हैं, पर विपत्ती के समय में जो आपका साथ दे, वहीं सच्चा मित्र है।

व्यक्ति को प्रत्येक रिश्ता अपने जन्म से ही प्राप्त होता है, अन्य शब्दों में कहें तो ईश्वर पहले से बना के देता है, पर दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जिसका चुनाव व्यक्ति स्वयं करता है। सच्ची मित्रता रंग-रूप नहीं देखता, जात-पात नहीं देखता, ऊँच-नीच, अमीरी-गरीबी तथा इसी प्रकार के किसी भी भेद-भाव का खंडन करती है। आमतौर पर यह समझा जाता है, मित्रता हम-उम्र के मध्य होती है पर यह गलत है मित्रता किसी भी उर्म में और किसी के साथ भी हो सकती है।

व्यक्ति के जीवन में मित्रता (दोस्ती) का महत्व

व्यक्ति के जन्म के बाद से वह अपनों के मध्य रहता हैं, खेलता हैं, उनसें सीखता हैं पर हर बात व्यक्ति हर किसी से साझा नहीं कर सकता। व्यक्ति का सच्चा मित्र ही उसके प्रत्येक राज़ को जानता है। पुस्तक ज्ञान की कुंजी है, तो एक सच्चा मित्र पूरा पुस्तकालय, जो हमें समय-समय पर जीवन के कठिनाईयों से लड़ने में सहायता प्रदान करते है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में दोस्तों की मुख्य भुमिका होती है। ऐसा कहा जाता है की व्यक्ति स्वयं जैसा होता है वह अपने जीवन में दोस्त भी वैसा ही चुनता है। और व्यक्ति से कुछ गलत होता है तो समाज उसके दोस्तों को भी समान रूप से उस गलती का भागीदार समझते हैं।

Answered by angad201000
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Answer:

जीवन में लोगों के अनेक दोस्त बनते हैं, बचपन के दोस्त, स्कूल, कॉलेज के दोस्त, व्यवसायिक दोस्त, मतलब (टाईमपास) के दोस्त आदि। इन में से कुछ वक्त गुज़रने के साथ पीछे छूट जाते हैं, और कुछ जीवन भर आपके हर अच्छे-बुरे परिस्थिति में आपके साथ रहते हैं। अपनी परेशानी की बात अपने दोस्तों को बताने से निश्चय ही मन का भार कम होता है तथा मित्रता व्यक्ति को सकारात्मक उर्जा से भर देती है।

बनावटी मित्र का त्याग करें

मित्रता जीवन को रोमांच से भर देती है। मित्र के होने पर व्यक्ति खुद को अकेला महसूस नहीं करता तथा सच्चा मित्र बिना विचार किए ही आपको संकट में देख मदद के लिए आगे आता है। वरन् लोग तो बहुत हैं जो कहते नहीं थकते “हम आपके मित्र हैं”। प्रसिद्ध कवि तुलसीदास ने अपने एक बड़े ही सुंदर दोहे में कहा है- “आगें कह मृदु बचन बनाई, पाछें अनहित मन कुटिलाई। जाकर चित अहि गति सम भाई, अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई।” मतलब- जो आपके सामने बना-बना कर मीठा बोलता है, और अपने मन में बुराई रखता है, आपका बुरा चाहता है तथा जिसका मन साप के चाल के समान टेढ़ा है। ऐसे खराब मित्रों को छोड़ देने में ही आपकी भलाई है।

“फ्रेंडशीप डे” दोस्तों के लिए एक खुशी का दिन

अपने दोस्तों को खास महसूस कराने के लिए तथा दोस्ती को खुशी के रूप में मनाने के लिए, पूरे विश्व में अगस्त के पहले रविवार को “फ्रेंडशीप डे” के रूप में मनाया जाता है। इससे संबंधित दो कहानी हैं। पहला- ऐसा कहते है की, 1935 में अमेरिकी सरकार द्वारा एक व्यक्ति को सज़ा के रूप में फाँसी दी गई। इससे उस व्यक्ति के दोस्त को इतना दुख पहुंचा की उसने भी आत्महत्या कर लिया। अमेरिकी सरकार ने उस व्यक्ति के भावनाओं की कद्र करते हुए, उस दिन को दोस्तों के नाम कर दिया तथा तब से “फ्रेंडशीप डे” की शुरूआत हुई।

दूसरा- 1930 में, जोएस हॉल नाम के एक व्यापारी ने कार्ड और गिफ्ट्स अदला-बदली करके दोस्तों के नाम यह दिन करने का निर्णय लिया तब से यह दिवस मनाया जाने लगा।

दोस्ती की अनेक मिसाल हमें हमारे इतिहास के पन्नों पर भी अंकित मिलते हैं

कृष्ण और सुदामा- कृष्ण और सुदामा की दोस्ती जग-विख्यात है, इनकी दोस्ती मुनि सांदीपनी के आश्रम में, बाल्यावस्था में हुई थी। शिक्षा प्राप्त कर लेने के बाद कृष्ण द्वारिकाधीश (द्वारिका के राजा) बने तथा सुदामा एक गरीब ब्राह्मण ही रहे। फिर भी विपत्ति पड़ने पर कृष्ण ने दोस्ती का फ़र्ज निभाया और सुदामा के सारे दुख दूर कर दिए।

दुर्योधन एवं कर्ण की दोस्ती- दोस्ती की मिसाल की जब कभी बात होगी उसमें कर्ण और दुर्योधन का वर्णन भी किया जाएगा। कर्ण के उपहास के समय पर दुर्योधन का कर्ण को सम्मान देना तथा अंगदेश का राज्य उपहार में दे देना, मुसीबत के समय पर दोस्त के कर्तव्य को दर्शाता है। समय आने पर कर्ण ने अपने ही भाईयों से युद्ध करके अपनी मित्रता का प्रमाण दिया।

निष्कर्ष

कुछ लोग बिना किसी रिश्ते के रिश्ते निभाते हैं। शायद वह लोग दोस्त कहलाते हैं- (गुलजार), दोस्ती प्यार का दूसरा रूप है। दोस्ती एक भाव है, हम सभी के जीवन में एक-दो या इससे अधिक दोस्त होते हैं ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसका कोई दोस्त न हो। आपस में व्यवहार मिलने पर बहुत कम समय में अच्छी दोस्ती हो जाती है, फिर यह भी महत्व नहीं रखता की हम उस व्यक्ति से कभी मिले हैं या नहीं। जो भी हो दोस्त जीवन को सफल भी बना सकते हैं, और उसका नाश भी कर सकते हैं तथा मित्र बनाते समय सोच-विचार करने की आवश्यकता है।

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