Hindi, asked by sneh6072, 1 year ago

अनुच्छेद लेखन नैतिक मुल्य का ज्ञान

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Answered by kairakhan
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जब हम शिक्षा की बात करते तो सामान्य अर्थों में या समझा जाता है कि हमें वस्तु का ज्ञान प्राप्त होता तथा जिसके बल पर कोई रोजगार प्राप्ति की जा सकती है इसे शिक्षा से व्यक्ति समाज में आदरणीय बनता है और समाज देश के लिए ज्ञान का महत्व है क्योंकि शिक्षित राष्ट्रीय अपने भविष्य को संभालने में सक्षम हो सकता है आज कोई राष्ट्र विज्ञान तकनीक की महत्वता को स्वीकार नहीं कर सकता जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसका उपयोग है वैज्ञानिक विधि को प्रयोग कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में करके ही हमारा देश में हरित क्रांति और श्वेत क्रांति लाई जा सकती है


अतः वस्तुपरक शिक्षा हर क्षेत्र में उपयोगी है परंतु जीवन में केवल पदार्थ ही महत्वपूर्ण नहीं है पदार्थों का अध्ययन आवश्यक है राष्ट्र की भौतिक दशा सुधारने के लिए तो जीवन मूल्यों का उपयोग कर हम उन्नति की सही राह चुन सकते हैं हम जानते हैं कि भारत में लोगों के बीच फैल रहा भ्रष्टाचार किस तरह से विकास की धारा को प्रभावित किए हुए हैं

हम देखते हैं कि मूल्य में खराश होने से समाज में हर प्रकार के अपराध बढ़ रहे हैं हमें भी देखते हैं कि मूल्य वाहिनी समाज में असंतोष फैल रहा है बेकारी के बढ़ने से युवक असंतोष जैसी कई प्रकार की चुनौतियां खड़ी दिखाई देती है छोटे से बड़े नौकरशाह निकम्मेपन और भ्रष्टाचार के अंधकूप में डुबकियां लगा रहे हैं उन्हें समाज या राष्ट्र की कोई परवाह नहीं है

इन परिस्थितियों में आत्ममंथन अनिवार्य हो जाता है क्योंकि हमारी शिक्षा प्रणाली दोषपूर्ण है यदि शिक्षा व्यवस्था त्रुटिहीन है तो निश्चित ही व्यक्तियों में दोष है आखिरकार कहीं ना कहीं तो गलत काम चल रही है जो गलत और सही को गलत ठहराने पर आमादा है
यदि शिक्षा प्रणाली पर गहराई से दृष्टिपात करें तो सरकारी तौर पर ही इसी कमियां परिलक्षित हो जायेंगे हमारे देश के आधे से अधिक शिक्षित व्यक्ति के सामने कोई लक्ष्य नहीं है उनके सामने अंधेरा ही अंधेरा है जिसने अपने जीवन के 15 वर्ष 20 वर्ष शिक्षा में लगा दिए जितने समय किसी कार्य के प्रति समर्पित कर दिया उसके दो हाथों को कोई काम नहीं 15 वर्ष के श्रम का कोई प्रति सफलता नहीं तो ऐसी शिक्षा बेकार है

आज की शिक्षा का मुख्य उद्देश्य पढ़ लिखकर धन कमाना चाहे धन कैसे भी आता उसके प्रभाव है कि जाए यही कारण शिक्षित वर्ग भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में सबसे आगे हैं
शिक्षा के नैतिक मूल्यों को संदर्भ करने का अर्थ यह नहीं कि वह लोगों को नियंत्रण भारी होते हुए वस्तुएं और किताबों का वोट डाल दिया जाए उनके जीवन में कोई गुणात्मक परिवर्तन नहीं आ सकता क्योंकि बच्चे समझते हैं यह भी एक विषय है जिस में अच्छे अंक लाने होंगे,........... I hope it's help you
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