अनुच्छेद लेखन - १. प्रात:काल की सैर (MINIMUM 15 LINE ) (
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प्रातःकाल के भ्रमण से पाचन शक्ति बढ़ती है, हृदय तथा फेफड़ों की गति सामान्य ढंग से कार्य करती है और उन्हें बल मिलता है। शुद्ध हवा जब नाक के मार्ग से शरीर में प्रवेश करती है तो रक्त भी शुद्ध होता है। प्रातःकाल भ्रमण से मनुष्य का मानसिक विकास भी होता है। उसकी गुद्धी विकसित होती है और उसमें अच्छे भावों की वृद्धी होती है।
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प्रातःकाल शीघ्र उठने से-शरीर में स्फूर्ति रहती है। इससे मन भी प्रसन्न रहता है और संध्या तक सारे दिन का समय भी प्रसन्नता से व्यतीत होता है। प्रातःकाल भ्रमण करने से शरीर में रक्त का संचार तीव्र गति से होता है। इससे चेहरे पर तेज आता है। जल्दी-जल्दी चलने से अंग-प्रत्यंग गति करते हैं। ठंडी-ठंडी हवा के सेवन से मुख-मंडल चमकने लगता है। प्रातःकाल के भ्रमण से पाचन शक्ति बढ़ती है, हृदय तथा फेफड़ों की गति सामान्य ढंग से कार्य करती है और उन्हें बल मिलता है। शुद्ध हवा जब नाक के मार्ग से शरीर में प्रवेश करती है तो रक्त भी शुद्ध होता है। प्रातःकाल भ्रमण से मनुष्य का मानसिक विकास भी होता है। उसकी गुद्धी विकसित होती है और उसमें अच्छे भावों की वृद्धी होती है। जब नंगे पाँव सुबह के समय हरी घास पर घूमते हैं तो मनुष्य के मस्तिष्क में ताज़गी आती है और अनेक रोग भी दूर हो जाते हैं। इससे बुद्धी बढ़ती है।
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