अनुच्छेद-लेखन प्रदूषण
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वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एक दानव की भांति है जो मुँह फाड़े वातावरण को निगलने के लिए तैयार खड़ा है। कल-कारखानों और मोटर वाहनों से निकलता जहरीला धुआं, वातावरण में इतना फैल चुका है कि सांस लेना तक दूभर हो गया है। महानगरों में जहाँ घनी आबादी होती है लेकिन पेड़-पौधों की संख्या कम होती है वहां तो यह एक विकराल रूप ले चुका है। हवा के साथ-साथ कारखानों से निकला दूषित रिसाव नदी-नालों में छोड़ने की वजह से जल भी दूषित हो गया है। कारखानों की खटपट, वाहनों के भोंपू तथा लाउडस्पीकरों की तीखी आवाजों ने मिल कर ध्वनि प्रदूषण इतना बढ़ा दिया है कि दिमाग में हर समय एक तनाव की स्थिति बानी रहती है।
इन सब प्रदूषणों की वजह से धरती में गर्मी बढ़ रही है जिस वजह से वर्षा, बाढ़ और ऋतुओं तक के चक्र में भी बदलाव आ गया है। हिम पर्बतों के जल्दी पिघलने से समुद्र के जल स्तर में बढ़ोतरी हो रही है, जो कई शहरों के अस्तित्व को अपने आगोश में समा लेगा।
इस विशालकाय प्रदूषण से बचने के लिए हमें वैज्ञानिक और संवैधानिक तरीकों से प्रदूषण की रोकथाम करनी होगी। अधिक से अधिक संख्या में पेड़-पौधे लगाकर फिर से वातावरण को स्वस्थ बनाना होगा। भोंपू न बजाने के नियम को और सख्त करना होगा।
आएं हम सब मिल कर इस प्रदूषण नाम की बीमारी का अंत कर फिर से स्वस्थ वातावरण में जीना सींखें।
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प्रदूषण एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में बच्चे भी जानते हैं। यह इतना आम हो गया है कि लगभग हर कोई इस तथ्य को स्वीकार करता है कि प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है।. प्रदूषण शब्द का अर्थ है किसी भी अवांछित विदेशी पदार्थ की अभिव्यक्ति जब हम पृथ्वी पर प्रदूषण के बारे में बात करते हैं, तो हम विभिन्न प्रदूषकों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के होने वाले संदषण का उल्लेख करते हैं।
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