Hindi, asked by pavanisoni17, 7 hours ago

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प्रदूषण की समस्या और समाधान ​

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Answered by anshika4585
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प्रदुषण – समस्या और समाधान

Pradushan – Samasya Aur Samadhan

प्रस्तावना-वर्तमान समय में प्रदुषण ने एक भयानक रूप धारण किया हुआ है। आज देश के कोने-कोने में प्रदुषण फैलाव बढता जा रहा है जिसके कारण हजारों व्यक्ति बीमारी का शिकार हो रहे है। घनी आबादी वाले शहरों में स्वस्थ अॅक्सीजन मिलना कठिन हो रहा है, जिसकी वजह से श्वास व ह्रदय रोग बढ रहे है।

सामान्यतः प्रदूषण की समस्या मूल रूप से आधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों के द्वारा अन्धाधुन्ध मशीनीकरण और औद्योगीकरण की ही देन है। देश की राजधानी दिल्ली दुनिया का तीसरा सर्वाधिक प्रदूषित नगर है।

प्रदूषण का अर्थप्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होनेवाला वह अवांछनीय परिवर्तन है जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थानों तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचाता है।

प्रदुषण के प्रकार

विकसित और अविकासशील सभी देशों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण विद्यमान है। इनमें से कुछ इस प्रकार है-

(1) वायु प्रदूषण- वायु प्रदूषण का मनुष्य के स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पडता है। वायु में प्रदूषण कारखानों के वाहनों और घरों के चुल्हों से निकले धुएं से फैलता है। इसके कारण फेफडों के कैंसर, दमा, आंखों के रोग, आदि जन्म लेते है। इसी प्रकार प्रदूषित वायु एग्जीमा तथा मुहांसे आदि रोग उत्पन्न करती है।

(2) जल प्रदूषण- सभी जीव-जन्तुओं के लिए जल का बहुत महत्व है। जल के बिना जीव-जन्तु जीवित नहीं रह सकते। इसके लिए जल स्वच्छ और दोषरहित होना चाहिए। नगरों में धरती के अन्दर बने सीवर का जल भी अक्सर नदियों में गिराया जाता है, जिससे पानी दूषित, विषाक्त होकर जीवनरहित हो जाता है। ये जमीन के अन्दर जाकर भूमिगत जल को प्रदूषित करते है।

(3) ध्वनी प्रदूषण- अनेक प्रकार के वहन, स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार, जेट विमान, लाउडस्पीकर, बाजे, टैªक्टर एवं कारखानों के रसायन विभिन्न प्रकार की मशीनों आदि से ध्वनी प्रदूषण उत्पन्न होता है। ध्वनी प्रदूषण का सबसे अधिक प्रकोप शहरों व मुख्य राजमार्गों पर दिखाई पडता है। अधिक ध्वनी की वजह से हजारों व्यक्ति अपने सुनने की क्षमता खो बैठते है या कम सुनने लगते है। ध्वनी प्रदूषण से बेचानी, घबराहट और तन्मयता में बाधा पडती है। इससे दिमांगी सन्तुलन बिगडने और दिल की बीमारियां बढने का खतरा पैदा होता है।

(4) रेडियोधर्मी प्रदूषण- आज विश्व के सभी विकसित और विकासशील देशों में परमाणु विस्फोट और वेज्ञानिक परीक्षण हो रहे हैं। प्रदूषण के ये भी बहुत बडे कारण हैं, परमाणु शक्ति, उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षण के फलस्वरूप् जल, वायु और पृथ्वी का प्रदूषण निरन्तर बढता ही जा रहा है। यह प्रदूषण केवल आज की पीढी के लिए ही नहीं वरन् आने वाली पीढी के लिए भी खतरनाक है। इस पर पाबन्दी लगाना सबसे बडी समस्या है, क्योंकि हथियारों और वैज्ञानिक क्षमता से लैस होने की होड में हर देश आगे बढना चाहता है। इस होड को रोकने के उपाय अभी कारगर नहीं हो पाये है।

प्रदूषण की समस्या का समाधान

प्रदूषण की समस्या को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा अनेक प्रयास किये गये है। इस समस्या को रोकने के लिए हमारी सरकार ने विभिन्न नियम एवं कानून बनाये है। आइए पहले उन पर ही विचार करें-

(1) पुराने वाहनों से निकलने वाले धुएं को चेक करवाना।

(2) नए लाइसेन्स दिये जाने से पुर्व उन्हे औद्योगिक कचरे के निस्ताकरण की समुचित व्यवस्था तथा पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृत कराना।

(3) वनों की अनियन्त्रित कटाई को रोकने के लिए कठोर नियम बनाया जाना।

(4) कारखानों को नगरो के बाहर विस्थापित किया जाना।

(5) आठ वर्षो से पुराने व्यापारिक वहनों के चलाने नर रोक लगाया जाना।

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