अनुच्छेद लेखन par सूट नु रोगी काया
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स्वस्थ रहना परम सुख- पुरानी कहावत है कि पहला सुख निरोगी काया अर्थात शरीर का स्वस्थ रहना ही सबसे बड़ा सुख हैं, सारे सुख शरीर द्वारा भी भोगे जाते हैं. अतः शरीर रोगी हो तो सारे सुख बेकार हैं. स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मस्तिष्क अर्थात स्वस्थ मन का होना संभव हैं. तन और मन दोनों के स्वस्थ रहने पर ही, मनुष्य जीवन सच्चा सुख भोग सकता हैं.
स्वस्थ जीवन के लाभ- स्वस्थ जीवन ईश्वर का वरदान हैं. स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन के सुखों का उपभोग कर सकता हैं. स्वस्थ व्यक्ति ही अपने सारे दायित्व समय से पूरा कर सकता है. समय पड़ने पर औरों कि भी सहायता कर सकता है. शरीर स्वस्थ और बलवान होता है. तो ऐसे वैसे लोग बचकर चलते है नहीं तो.
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