अनुच्छेद लेखन- सच्चा मित्र
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जीवन में हमेशा आगे बढ़ने के लिए कई प्रकार की परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और हर प्रकार की परिस्थितियों में एक व्यक्ति जोआपके साथ खड़ा रहता है, वही सच्चा मित्र कहलाता है।
जिसे आप अपने दिल की हर बात साझा कर सकते हैं और कई ऐसी परिस्थितियों में मित्र आपके उत्साह और जोश को बढ़ाकर कार्य को संपन्न करने में मदद करता है। मित्र हर प्रकार के कार्य में हाथ बटाने वाला व्यक्ति होता है।
जीवन में हर किसी व्यक्ति के कई सारे मित्र होते हैं। मित्रता एक प्रकार का ऐसा रिश्ता है, जिसमें दोनों व्यक्ति बिना किसी स्वार्थ के एक दूसरे की मदद करते हैं। हर व्यक्ति के एक या दो मित्र होने जरूरी है।
ताकि व्यक्ति कई प्रकार के तनाव जैसे मामलों में अपने दिल की बात मित्रों से साझा करके अपने मन को हल्का कर सकता है।
मित्रता
जीवन को बेहतर और सुखद बनाने के लिए अनेक प्रकार की वस्तुओं और व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है। लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति मित्र होता है। मित्र की प्राप्ति होने के पश्चात जीवन बेहद सुखदायी बन जाता है।
एक सच्चे मित्र के साथ हर प्रकार की बात साझा की जा सकती है। मित्र वह व्यक्ति होता है, जो बिना किसी स्वार्थ के जरूरत पड़ने पर हमेशा सहायता करने के लिए तत्पर हो। मित्रता उन्हीं लोगों के बीच लंबे समय तक रहती है, जो लोग बिना किसी स्वार्थ के एक दूसरे की सहायता करते हैं।
साथ ही किसी भी परिस्थिति में उचित सलाह देने वाला एक सच्चा मित्र होता हैं। यह मित्रता एक प्रकार की सच्ची मित्रता कहलाती है। इस दुनिया में हजारों प्रकार के मित्र आपको मिल जाएंगे, लेकिन सच्चे मित्र को ढूंढना काफी मुश्किल है।
सच्ची मित्रता का मतलब
सच्ची मित्रता एक प्रकार का रिश्ता है, जिसका मतलब दो लोगों के बीच मित्र की भावना होना है। मित्र का मतलब यह नहीं है, कि दोनों लोग साथ में रहे और साथ में काम करें। मित्र का मतलब यह है, कि वह हर परिस्थिति में आपके साथ खड़ा रहे और आप को उचित सलाह दें।
इसे दूसरे शब्दों में आप एक दूसरे का शुभचिंतक भी कह सकते हैं। मित्रता के रिश्ते में हमेशा एक दूसरे के हित की कामना की जाती है। साथ ही साथ एक दूसरे को हर प्रकार के कार्य में बेहतर सलाह देकर उसके कार्य को सफल होने की कामना करना होता है।
मित्रता जिसमें हम सिर्फ सुख के समय की कामना नहीं कर सकते हैं। क्योंकि कई बार दुख की घड़ी में भी हमारे मित्र हमारी ढाल बन सकते हैं और सच्चा मित्र वही होता है जो दुख की घड़ी में आपके साथ ढाल बनकर खड़ा रहे।
सच्ची मित्रता करने का कोई उचित समय नहीं होता है और ना ही उचित व्यक्ति होता है। सच्ची मित्रता किसी भी समय किसी भी व्यक्ति के साथ की जा सकती है।
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सच्चा मित्र मिलना हमारा सौभाग्य है I ऊपरी मित्रता निभाने वाले, हमारे सुख में हमारा साथ देने वाले मित्र तो बहुत मिल जाते हैं किन्तु सच्चे मित्र तो कुछ ही होते हैं जो जीवन कि हर परिस्थिति में हमारा साथ निभाते हैं I मित्रों से मन की बात कहकर मन हल्का किया जा सकता है, अन्यथा एकाकीपन अभिशाप कि भांति हमें सताता है I सच्ची मित्रता पानी और मछली जैसी होती है जो एक-दूसरे के दुख में दुखी होते हैंIविपत्ति के समय साथ देने वाला ही सच्चा मित्र होता है I सच्चे मित्र संकट के समय आगे खड़े रहते हैं I सच्चे मित्र का चुनाव करने मैं सतर्कता बरतनी चाहिए और विवेक से काम लेना चाहिए I जो मित्र के दुख को बड़ा समझे, अवगुणों को हमारे सामने प्रकट कर उन्हें दूर करने मैं सहायता करे, हमें सही मार्ग दिखाए, प्रेरणा दे, पीठ पीछे अहित न करे और मन में कुटिलता न रखे वही सच्चा मित्र होता है I इतने गुणों के परिपूर्ण मित्र का मिलना वास्तव में खजाना पा लेने के सामान है I