Hindi, asked by robinbhati7700, 1 month ago

अनुच्छेद लेखन सठ सुधरहिं सतसंगति पाई​

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Answered by nareshpatle1915
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सत्संगति ज्ञान प्राप्ति की भी सबसे बड़ी साधिका है, इसके बिना तो ज्ञान की कल्पना तक नहीं की जा सकती है. बिनु सत्संग  विवेक न होई. सत्संगति से ही मनुष्य की वाणी अत्यधिक प्रभावित होती है. विधाता की ओर से मनुष्य को प्रदान की गई सबसे अनमोल निधि है उसकी वाणी.

वाणी के कारण ही पंडित और मूर्ख, साधु और दुष्ट, सज्जन और दुर्जन की पहचान होती है. वाणी द्वारा हम न केवल अपने मन की अतल गहराइयों के विभिन्न भावों को व्यक्त करते हैं बल्कि अपने परिवेश को संबोधित करके अपनी इच्छाओं को क्रियान्वित भी करते है, इसलिए कबीर जैसे संतों ने परामर्श दिया कि-

ऐसी वाणी बोलिए, मन की आपा खोय

औरन को शीतल करें आपहि शीतल होय.

वाणी के अंदर यह शीतलता सिर्फ वैयक्तिक स्तर की विशेषता नहीं होती बल्कि सत्संगति का प्रभाव होता हैं, व्यक्ति सत्संगति से ही अपनी वाणी में मिठास एवं गंभीरता तथा अर्थपूर्णता ला पाता हैं. वाणी के अंदर मिठास एवं शीतलता मन को अहंकार को भूलने से ही आती है और मन का अहंकार सुसंगति के कारण ही नष्ट होता हैं.

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