Hindi, asked by neelrajlazade, 15 days ago

अनुच्छेद लेखन

दिए गए विषयों में से किसी एक विषय पर ८०-१०० शब्दों में अनुच्छेद लिखिए

1. समय का सदुपयोग

2. परिश्रम का महत्व

3. मैं मोबाइल हूं

urgent​

Answers

Answered by grajul33
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Answer:

परिश्रम मानव जीवन का वह हथियार है जिसके बल पर भारी से भारी संकटों पर भी जीत हासिल की जा सकती है । परिश्रम वह गुण है जिसे अपना लेने पर व्यक्ति के दु:ख मिट जाते हैं । परिश्रम सफलता का मूल मंत्र है । यह कभी भी बेकार नहीं जाता । संसार परिश्रमी व्यक्तियों का लोहा मानता है । परिश्रमी लोगों ने संसार में बड़े-बड़े कारनामे कर दिखाए हैं । वे बाधाओं से लड़ते हुए अपने जीवन-लक्ष्य की प्राप्ति कर ही लेते हैं । किसान और मजदूर अनथक श्रम करते हुए संसार को भोजन , वस्त्र और आवास प्रदान करते हैं । व्यापारियों और पूंजीपतियों के श्रम से दश में रोजगार के नए-नए अवसर प्राप्त होते हैं । जिन लोगों ने परिश्रम को पूजा माना है संसार ने उनकी पूजा की है । जीवन की दौड़ में श्रम करनेवाला विजयी होता है लेकिन आलसी लोगों को हार का मुँह देखना पड़ता है । इसलिए हमें परिश्रमशील और कर्मठ बनना चाहिए । परिश्रम से भाग्य को भी बदला जा सकता है ।

Explanation:

मनुष्य के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। हर प्राणी के जीवन में परिश्रम का बहुत महत्व होता है। इस संसार में कोई भी प्राणी काम किये बिना नहीं रह सकता है। प्रकृति का कण-कण बने हुए नियमों से अपना-अपना काम करता है। चींटी का जीवन भी परिश्रम से ही पूर्ण होता है। मनुष्य परिश्रम करके अपने जीवन की हर समस्या से छुटकारा पा सकता है| सूर्य हर रोज निकलकर विश्व का उपकार करता है।

वह कभी भी अपने नियम का उल्लंघन नहीं करता है। वह पर्वतों को काटकर सडक बना सकता है, नदियों पर पुल बना सकता है, जिन रास्तों पर काँटे होते हैं उन्हें वह सुगम बना सकता है। समुद्रों की छाती को चीरकर आगे बढ़ सकता है। नदियाँ भी दिन-रात यात्रा करती रहती हैं। वनस्पतियाँ भी वातावरण के अनुसार परिवर्द्धित होती रहती हैं। कीड़े, पशु, पक्षी अपने दैनिक जीवन में व्यस्त रहते हैं।

ऐसा कोई भी कार्य नहीं है जो परिश्रम से सफल न हो सकें। जो पुरुष दृढ प्रतिज्ञ होते हैं उनके लिए विश्व का कोई भी कार्य कठिन नहीं होता है। वास्तव में बिना श्रम के मानव जीवन की गाड़ी चल नहीं सकती है। श्रम से ही उन्नति और विकास का मार्ग खुल सकता है। परिश्रम और प्रयास की बहुत महिमा होती है। अगर मनुष्य परिश्रम नहीं करता तो आज संसार में कुछ भी नहीं होता। आज संसार ने जो इतनी उन्नति की है वह सब परिश्रम का ही परिणाम है।

परिश्रम और भाग्य : कुछ लोग परिश्रम की जगह भाग्य को अधिक महत्व देते हैं। ऐसे लोग केवल भाग्य पर ही निर्भर होते हैं। वे भाग्य के सहारे जीवन जीते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि भाग्य जीवन में आलस्य को जन्म देता है और आलस्य जीवन मनुष्य के लिए एक अभिशाप की तरह होता है। वे लोग यह समझते हैं कि जो हमारे भाग्य में होगा वह हमें अवश्य मिलेगा। वे परिश्रम करना व्यर्थ समझते हैं।

भाग्य का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है लेकिन आलसी बनकर बैठे हुए असफलता के लिए भगवान को कोसना ठीक बात नहीं है। आलसी व्यक्ति हमेशा दूसरों के भरोसे पर जीवन यापन करता है। वह अपने हर काम को भाग्य पर छोड़ देता है। हमारे इसी भाव की वजह से भारत देश ने कई वर्षों तक गुलामी की थी। परिश्रम से कोई भी मनुष्य अपने भाग्य को भी बदल सकता है।

जो व्यक्ति आलसी होते हैं वे केवल भगवान के लिखे हुए पर आश्रित होते हैं। हम सभी के मन में हीनता की भावना पैदा हो गई है लेकिन जैसे-जैसे हमने परिश्रम के महत्व को समझा तो हमने पराधीनता की बेड़ियों को तोडकर स्वतंत्रता की ज्योति जलाई थी। कायर व्यक्ति हमेशा कहते रहते हैं कि हमें भगवान देगा। अगर परिश्रम करने के बाद भी हमें सफलता नहीं मिलती है तो हमे इस पर विचार करना चाहिए कि हमारे परिश्रम में क्या कमी थी।

परिश्रम का महत्व : परिश्रम का बहुत अधिक महत्व होता है। जब मनुष्य के जीवन में परिश्रम खत्म हो जाता है तो उसके जीवन की गाड़ी रुक जाती है। अगर हम परिश्रम न करें तो हमारा खुद का खाना-पीना, उठना-बैठना भी संभव भी नहीं हो पायेगा। अगर मनुष्य परिश्रम न करे तो उन्नति और विकास की कभी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी। आज के समय में जितने भी देश उन्नति और विकास के स्तर पर इतने ऊपर पहुंच गये हैं वे भी परिश्रम के बल पर ही ऊँचे स्तर पर पहुँचे हैं।

परिश्रम से अभिप्राय होता है वो परिश्रम जिससे विकास और रचना हो। इसी परिश्रम के बल पर बहुत से देशों ने अपने देश को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा दिया है। जो परिश्रम व्यर्थ में किया जाता है उसका कोई अर्थ नहीं होता है। जिन व्यक्तियों के जीवन में आलस भरा होता है वे कभी भी जीवन में उन्नति नहीं कर सकते हैं। आज मनुष्य ने परिश्रम से अपने जीवन को उन्नति और विकास के शिखर पर पहुँचा लिया है। परिश्रम के बिना किसी भी प्राणी का जीवन व्यर्थ होता है।

परिश्रम के लाभ : परिश्रम से मनुष्य के जीवन में अनेक लाभ होते हैं। जब मनुष्य जीवन में परिश्रम करता है तो उसका जीवन गंगा के जल की तरह पवित्र हो जाता है। जो मनुष्य परिश्रम करता है उसके मन से वासनाएं और अन्य प्रकार की दूषित भावनाएँ खत्म हो जाती हैं। जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं उनके पास किसी भी तरह की बेकार की बातों के लिए समय नहीं होता है। जिस व्यक्ति में परिश्रम करने की आदत होती है उनका शरीर हष्ट-पुष्ट रहता है। परिश्रम करने से मनुष्य का शरीर रोगों से मुक्त रहता है।

परिश्रम करने से जीवन में विजय और धन दोनों ही मिलते हैं। अक्सर ऐसे लोगों को देखा गया है जो भाग्य पर निर्भर नहीं रहते हैं और थोड़े से धन से काम करना शुरू करते हैं और कहाँ-से-कहाँ पर पहुंच जाते है। जिन लोगों के पास थोडा धन हुआ करता था वे अपने परिश्रम से धनवान बन जाते हैं। जो व्यक्ति परिश्रमी होते हैं उन्हें जीवित रहते हुए भी यश मिलता है और मरने के बाद भी। परिश्रमी व्यक्ति ही अपने राष्ट्र और देश को ऊँचा उठा सकता है। जिस देश के लोग परिश्रमी होते है वही देश उन्नति कर सकता है। जिस देश के नागरिक आलसी और भाग्य पर निर्भर होते हैं वह देश किसी भी शक्तिशाली देश का आसानी से गुलाम बन जाता है।

Answered by praptipatel04102005
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Answer:

समय बहुत कीमती है और हर किसी के द्वारा मांग की जाती है। यह एक बार बीतने के बाद वापस नहीं आता है। यह हर पल नियमित रूप से चलता है और कभी एक सेकंड के लिए भी नहीं रुकता है। समय नष्ट करने वालों को समय नष्ट कर देता है। समय और ज्वार किसी के लिए भी नहीं रुकते है एक प्रसिद्ध कहावत है जो हम सभी जानते हैं कि हमें समय को बर्बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि यह कभी भी किसी भी स्थिति में किसी के लिए नहीं रुकता है।

खोया हुआ समय कभी हमारे पास नहीं लौटता है, इसलिए हमें इसका सही दिशा में सही उपयोग करना चाहिए। हमारे पास समय का सबसे अच्छा उपयोग करने के लिए हमेशा सचेत रहना चाहिए। अवसर समय के साथ हमारे रास्ते में आते हैं लेकिन हर समय दरवाजा नहीं खटखटाते है। जीवन में सफलता या असफलता, इसके सर्वोत्तम लाभ के लिए समय के उपयोग के तरीके पर निर्भर करती है। हमारे हिस्से से सुस्ती हमें बहुत भारी पड़ सकती है। इसलिए, इसे सही मायने में ‘समय और ज्वार का इंतजार नहीं करते है’ कहा जाता है।

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