अनुच्छे द लेखन- देश की छहव को उन्नि करनेमेंमेरा योगदान
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किसी विषय पर थोड़े, किन्तु चुने हुए शब्दों में अपने विचार प्रकट करने के प्रयास को अनुछेद लेखन कहा जाता है। यह किसी लेख, निबंध या रचना का अंश भी हो सकता है किन्तु स्वयं में पूर्ण होना चाहिए। डॉ॰ किरण नन्दा के शब्दों में अनुच्छेद को यों परिभाषित किया जा सकता है-
किसी भी शब्द, वाक्य, सूत्र से सम्बद्ध विचार एवं भावों को अपने अर्जित ज्ञान, निजी अनुभूति से संजोकर प्रवाहमयी शैली के माध्यम से गद्यभाषा में अभिव्यक्त करना अनुच्छेद कहलाता है।
उक्त परिभाषा के आधार पर स्पष्ट है कि अनुच्छेद लेखन का कोई भी विषय हो सकता है, वह शब्द, वाक्य, सूत्र रूप में भी हो सकता है। उसका विस्तार स्वतंत्र रूप में प्रवाहमयी शैली में होना चाहिए तथा गद्य भाषा में अभिव्यक्त होना चाहिए। जब हम किसी विषय, विचार या शीर्षक को विस्तारपूर्वक लिखें कि एक अनुच्छेद तैयार हो जाए तो इसे 'अनुच्छेद लेखन' कहा जाता है।
'अनुच्छेद-लेखन' और 'निबंध-लेखन' तथा 'पल्लवन लेखन' में अन्तर है। इनके पारस्परिक अंतर को समझ लेना आवश्यक है।