अनुच्छेद मेरा प्रिय टीवी शो बच्चों पर बढ़ता बस्ते का बोझ
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प्रतियोगिता और दिखावे के इस युग में माता-पिता अपने बच्चों को जल्दी से जल्दी स्कूल भेज देना चाहते हैं। अब तो प्ले स्कूल के पाठ्यक्रम को छोड़ दें तो नर्सरी कक्षा से ही पुस्तकों की संख्या विषयानुसार बढ़ने लगती हैं। एक-एक विषय की कई पुस्तकें विद्यार्थियों के थैले में देखी जा सकती हैं। कुछ व्याकरण के नाम पर तो कुछ अभ्यास-पुस्तिका के नाम पर। हद तो तब हो जाती है जब शब्दकोश तक बच्चों को विद्यालय ले जाते देखा जाता है।
अभिभावकों को दिखाने के लिए पहली कक्षा से ही कंप्यूटर और सामान्य ज्ञान की पुस्तकें भी पाठ्यक्रम में लगवा दी जाती हैं। अभिभावक समझता है कि उसका बच्चा पहली कक्षा से ही कंप्यूटर पढ़ने लगा है, पर इन पुस्तकों के कारण बस्ते का बढ़ा बोझ वह नज़रअंदाज कर जाता है।
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आज के यांत्रिक युग में दूरदर्शन सबसे अधिक लोकप्रिय हो रहा है । इस पर हर रोज कितने ही कार्यक्रम प्रसारित होते रहते हैं । ये कार्यक्रम बच्चे, युवा नर-नारी और बूढ़ों की रुचि के अनुकूल होते हैं । दोपहर के कार्यक्रम तो बच्चे और महिलाओं के लिए विशेष उपयोगी है ।
दोपहर के भोजन के पश्चात् बच्चे और महिलाएँ इसका बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते हैं । नाश्ते के समय का कार्यक्रम भी अच्छा रहता है । दूरदर्शन हर वर्ग को ध्यान रखकर कार्यक्रम दिखाता है कुछ लोग इसमें शास्त्रीय संगीत व नृत्य के कार्यक्रम बड़ी रुचि से देखते हैं तो कुछ लोग पाँप म्यूजिक का आनन्द लेते हैं ।