अनुच्छेद ओफ स्वच्छ भारत
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माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया सफाई को लेकर राष्ट्रव्यापी अभियान स्वच्छ भारत अभियान के रूप में बहुत कारगर हो रहा है। महात्मा गांधी का सपना था कि भारत भी एक दिन स्वच्छ राष्ट्र बनेगा। माननीय प्रधानमंत्री द्वारा गांधी जी की 145वीं जयंती पर यह अभियान शुरू किया गया है और अनुमान है कि उनकी 150वीं जयन्ती तक भारत देश स्वच्छ देशों की गिनती में गिना जायेगा। उनका वह सपना आज सच होता नजर आने लगा है क्योंकि भारत का प्रत्येक नागरिक इसके प्रति उत्साहित है और वह अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझता है कि उसे अपने देश को स्वच्छ रखना है। यह अभियान एक विशाल जन आन्दोलन का रूप ले चुका है जिसमें आम नागरिक, सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थान, नेता, अभिनेता हर व्यक्ति अपनी तरफ से भागदारी कर रहा है।
इस अभियान से लोगों में सफाई के प्रति कुछ मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान केन्द्रित करने पर जोर दिया गया है। जैसे खुले में शौच न करना, जिन स्थानों पर शौचालय नहीं हैं वहाँ शौचालयों का निर्माण, पुराने शौचालयों को नवीनीकरण, कचरों का सही रूप से विभाजन जैसे जैविक एवं अजैविक को अलग-अलग रखना, सफाई के सही तरीके अपनाना, सफाई की अच्छी आदतों का विकास करना, स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरुक करना, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था लागू करना आदि इसके मुख्य बिन्दु हैं।
इस क्षेत्र में कार्य करने के लिए एक बहुत ही रुचिपूर्ण तरीका अपनाया गया है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति 9 व्यक्तियों का इसमें जुड़ने के लिए आमंत्रित करेगा और ये 9 लोग अन्य 9 लोगों को इस कार्यक्रम में जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा। यह जुड़ने का सिलसिला तब तक चलता रहेगा जब तक प्रत्येक नागरिक इस अभियान से जुड़ कर देश को स्वच्छ रखने में अपनी भागीदारी नहीं देता। इस अभियान को सफल बनाने के लिए नुक्कड़ नाटकों, टेली-फिल्मों, पद यात्राओं, विद्यालयों में जागरुकता कार्यशालाओं आदि माध्यमों का सहयोग लिया जा रहा है।
भारत में अभी भी कई घर ऐसे हैं जहाँ शौचालय नहीं हैं और लोग खुले में ही शौच जाते हैं, ऐसे स्थानों पर शौचालयों का निर्माण कराया जा रहा है। जिन घरों में नाम के लिए शौचालय हैं भी तो वहाँ गन्दगी के निस्तारण की कोई सुविधा नहीं है। इस प्रकार की गन्दगी के निस्तारण के लिए उन्हें आधुनिक शौचालयों में बदला जा रहा है। जिससे गन्दगी से होने वाली बीमारियों पर रोक लगाई जा सके। कई स्थानों पर आज भी गन्दगी को हाथों द्वारा साफ किया जाता है और हाथ साफ करने के बावज़ूद भी किटाणु हाथों से मुँह तक पहुँच कर लोगों को गंभीर बीमारियों से पीड़ित कर रहे हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए लोगों को जागरुक किया जा रहा है कि वे कैसे अपने को कष्ट पहुँचाये बगैर शौचालयों की गन्दगी को साफ कर सकते हैं।
जिन इलाकों में नगर निगम की कचरा ले जाने वाली गाड़ी नहीं आती थी उन स्थानों पर कचरा ढोने की गाड़ियों का प्रबन्धन किया गया है और लोगों को जैविक व अजैविक कचरों को अलग-अलग रखने की जानकारी व महत्ता पर जागरुक किया जा रहा है। कई अन्य कार्यक्रम हैं जिन्हें लागू किया जाना बाकी है और वे प्रक्रिया में हैं। महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत के सपने को सच करने के लिए हम सबको मिल कर साथ देना होगा, तभी हम कामयाब हो पायेंगे।