Hindi, asked by nidhikapoor100, 1 month ago

अनुच्छेद ऑन काश मैं बिल गेट्स होता​

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Answered by anshvanshtyagi4
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                   काश मैं बिल गेट्स होता​

“किस किस पे दया करूँ ओर होली मनवाई–काश मैं बिल गेट होता !”

होली का त्योहार आज

कुछ गरीब बच्चों की टोली

मेरे आंगन घर द्वार

एक ने ढोल बजाया

2-4 नाचे 2-3 ने गीत

फिर एक लाचार आवाज़

अंकल……………….

पुकारने वाली एक 9-10 साल की मासूम

मेले -गंदले-टूटे-फटे कपड़े

उलझे बाल ….

मैं सोच में पड़ गया…

उन व्यतित मासूमो को क्या दु

10-20 रुपये ओर क्या

ज्यादा तो दे नहीं सकते

बच्चों की होली के लिए इतने कॉफ़ी

ओर फ़िर वो घूम रहे थे घर-घर

ओर भी दयावान मिलेंगे

5-10 ₹ 100 लोगो मे 20 तो देंगे

मैंने दिए लेकिन मन द्रवित हो उठा

मन गहन विचारों से भर गया

क्या सोच…………

ये सोच की ……

की की किन किन किस किस की

हां किस किस की होली मैं करवाऊं

देश मे कितने लोग हैं ऐसे विपन्न

निर्धनता से है वो छिन्न-भिन्न

वो मजबूर निकले थे

अपना बचपन कही खो के

ज़ाहिर है शौक से नही

हां वो भीख मांग रहे वो ले बेबसी

मन कुढ़ उठा…..

काश मैं बिल गेट सा खरबपति होता

ओर एक मिशन-अभियान के तहत

हाँ उन सबको चिन्हित-खोज कर

हर शहर हर गली-,गाँव मोहल्ला

एक परिसर बसाऊ

ओर उन्हें होली-रंगोली मनवाऊ

गोया उन्हें नए वस्त्र, भांति-भांति के व्यंजन खिलवाउ

ओर तो ओर रंग-बिरंगे रंगों से

उन्हें धुलण्डी-रंगोली के रंगों से हरषाऊँ….

ओर सरकारे भी सौचे

जैसे कर्मचारियों को जरूरत नही बोनस की

पर वोट-खुश करने लुटाती है

काश ये सरकारे संज्ञान ले

उस गरीब-मजलूमो को पहचान

हाँ त्योहार मनाने –2

उनको भी कुछ अंश दान दे

की वो अपनी होली मना सके

भ्रष्टता ओर भ्रष्टाचार के खेल में क्या कुछ हो रहा है

लालच ऐश्वर्य भौतिक आँधी में एक तबका बह रहा है

तो सरकार-कॉरपोरेट जगत ये नेक काम करे

समुंदर से कुछ बाल्टियां पानी निकालने से

हां क्या फर्क पड़ता है

मुकेश अम्बानी की पूंजी रातोरात

हज़ारों करोड़ कम हो गयी

कोरोना वायरस की चपेट में

लेकिन क्या फर्क कुछ नहीं

ऊंट के मुंह मे जीरा

कुछ न घटा

ये दिलदारी काश वो भी दिखावे

समझे कोरोना वायरस से मार्किट में

कुछ नहीं कुछ हज़ार गवाए

ओर है श्रीनाथ जी की वैसे ही खूब कृपा

दिवालिया अनिल अम्बानी लेकिन

हैं आज भी करोडपति कहलाये

ओर एक बात -कुछ लोगो ने भीख मांगना

हाँ भीख एक व्यवसाय बना दिया है

जो दे भला न दे अपना क्या बिगड़ता है

तो सरकार CAA ओर NCR इतना ज़रूरी

तो इस जरूरत को तो पहले पहचाने

देश मे कोई भीख न मांगे

छोटा जरूरत का व्यवसाय सबको मिले

ओर जो भीख मांगे काम दिया जाय

न करे तक सीधी जेल वो भी बिना खाने के दी जाय|

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anshvanshtyagi4

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