अनुच्छेद ऑन कर करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
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चाहे निर्माण कार्य हो, कला-कौशल को सीखना हो, किसी लक्ष्य तक पहुँचना हो अथवा विद्याध्ययन हो, सर्वत्र अभ्यास की आवश्यकता है। यहाँ तक कि प्रतिभावान व्यक्ति भी यदि अभ्यास न करे तो वह आगे नहीं बढ़ सकता। 'करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान॥'
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